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Hindi Ki Manak Vartani   

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Author Rachna Bhatia , Kailash Chandra Bhatia
Features
  • ISBN : 9789351862291
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Rachna Bhatia , Kailash Chandra Bhatia
  • 9789351862291
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2017
  • 144
  • Hard Cover
  • 175 Grams

Description

प्रस्तुत पुस्तक में हिंदी के तीन अत्यधिक व्यावहारिक पक्षों को रखा गया है—वर्तनी, विरामचिह्न तथा प्रूफ-संशोधन।
उक्त तीनों पक्ष एक-दूसरे से इतने अधिक संबद्ध हैं कि पृथक् करने में कठिनाई है। प्रूफ-संशोधन में जहाँ वर्तनी का शुद्ध रूप रखना पड़ता है, वहीं विरामचिह्नों के ठीक प्रयोग का। ‘मानक हिंदी वर्तनी’ का कार्यक्षेत्र केंद्रीय हिंदी निदेशालय का है, जिनकी सिफारिशों को इसमें समुचित स्थान दिया गया है। वर्तनी का क्षेत्र मात्र शब्दों तक नहीं है, उसमें संक्षिप्त रूप, प्रतीक, व्यक्ति-स्थान नामों का अपार भंडार है।
वर्तनी से ही विरामचिह्न जुड़े हुए हैं। यह सर्वविदित है कि पूर्ण विराम ‘।’ के अतिरिक्त सभी चिह्न अंग्रेजी के संसर्ग से प्राप्त हुए हैं। व्याकरण की विभिन्न पुस्तकों में यत्किंचित् सामग्री विरामचिह्नों पर भी है। इस पुस्तक में पहली बार इन्हें विस्तार से समझाया गया है; जिससे विद्यार्थी व सुधी पाठक लाभान्वित होंगे। प्रूफ-संशोधन कार्य उक्त दोनों से जुड़ा हुआ है। हिंदी पत्रकारिता में भी अब इसकी आवश्यकता का अनुभव किया जाने लगा है।
साधारणत: हिंदी लेखक इस पुस्तक से लाभान्वित होंगे ही, साथ ही विद्वानों को इस दिशा में अंतिम रूप से निर्णय लेने में चिंतन का अवसर मिलेगा।

The Author

Rachna Bhatia

शिक्षा : बी.एस.-सी., एम.ए. (भाषा-विज्ञान), एम.ए. (हिंदी), एम. फिल्. (भाषा-विज्ञान), डिप्लोमा इन लैंग्वेज (फ्रेंच), कोश विज्ञान (केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा)।
लघु शोध प्रबंध : भाषा शिक्षण—A Critical Study of Second Foreign Language Teaching Methodology for Hindi (with special reference to Grammar, Translation & Audio Lingual Methods)।
रचनाएँ : मानक हिंदी वर्तनी।
संप्रति : हिंदी विभाग, राष्‍ट्रीय मुक्‍त विद्यालय (मानव संसाधन विकास मंत्रालय) 35, कैलाश कॉलोनी, नई दिल्ली।

Kailash Chandra Bhatia

भाषा विज्ञान तथा हिंदी भाषा के विविध पक्षों पर अनुसंधान के साथ-साथ साहित्य की नवीन विधाओं की ओर प्रवृत्त। मदन मोहन मालवीय पुरस्कार, अयोध्याप्रसाद खत्री पुरस्कार, नातालि पुरस्कार आदि से सम्मानित। आगरा तथा अलीगढ़ विश्‍वविद्यालय से संबद्ध रहे। भूतपूर्व प्रोफेसर तथा अध्यक्ष, हिंदी तथा प्रादेशिक भाषाएँ, लाल बहादुर शास्त्री राष्‍ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी। पूर्व निदेशक, वृंदावन शोध संस्थान, वृंदावन। भारत सरकार के अनेक मंत्रालयों की राजभाषा सलाहकार समितियों के सदस्य। रॉयल एशियाटिक सोसाइटी ऑफ इंग्लैंड के फेलो।
प्रमुख रचनाएँ : अंग्रेजी-हिंदी अभिव्यक्ति कोश, अंग्रेजी-हिंदी शब्दों का ठीक प्रयोग, भारतीय भाषाएँ, शब्दश्री, अखिल भारतीय प्रशासनिक कोश, अनुवाद कला : सिद्धांत और प्रयोग, कामकाजी हिंदी, व्यावहारिक हिंदी, विधा-विविधा, भाषा-भूगोल, हिंदी भाषा शिक्षण, हिंदी की बेसिक शब्दावली, हिंदी काव्य भाषा की प्रवृत्तियाँ, रोडा कृत राउलवेल, हिंदी साहित्य की नवीन विधाएँ, उभरी-गहरी रेखाएँ (सं.), हिंदी भाषा में अक्षर तथा शब्द की सीमा, ब्रजभाषा तथा खड़ी बोली का तुलनात्मक अध्ययन, हिंदी साहित्य का वृहद् इतिहास : अद्यतन काल (सं.), हिंदी भाषा : स्वरूप और विकास, राजभाषा हिंदी, मानक हिंदी वर्तनी, संक्षेपण और पल्लवन, प्रयोजनमूलक हिंदी।

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