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Das Matrika

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Author Sudeen Kumar Mitra
Features
  • ISBN : 9789380186856
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Sudeen Kumar Mitra
  • 9789380186856
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2018
  • 160
  • Hard Cover
  • 330 Grams

Description

किसी महान् संतान के आविर्भाव से पूरा वंश पवित्र हो जाता है, जननी कृतार्थ हो उठती है, वसुंधरा पुण्यवती हो आती है—यह वाणी परम सत्य वाणी है। उस पुण्य-संचय से यह पृथ्वी ढेरों पाप वहन करने के बावजूद सही-सलामत है।मातृभक्‍त संतान की सर्वत्र जय निश्‍चित है। किसी भी महान् जीवन की बुनियाद खोजें, तो जड़ों में मातृभक्‍ति की निर्मल खाद साफ-साफ नजर आती है।इस पुस्तक में यथाक्रम दस मातृकाओं की कथा है—(1) आद्या माँ (2) गर्भधारिणी माँ, (3) रांगा माँ, (4) अम्मीजान, (5) मम्मी (मिसेज फिलिप्स), (6) माताजी, (7) बूढ़ी माँ, (8) तड़िया की माई, (9) शोभा माँ और (10) रूपाली माँ!बेटी की उम्र की ये ‘माताएँ’ शक्‍तिरूपिणी होती हैं। इसलिए वे महिलाएँ अविचल महिमा से अपने इस बड़े बच्चे को अगोरती रहती हैं, जैसे अम्मी माँ बीमार बच्चे की पल-पल रखवाली करती है। उनका ध्यान-ज्ञान-जीवन उस बच्चे की सेवा होती है।हर कथा में आवेग, आंतरिकता और सरलता मन को अभिभूत करती है। श्रीश्री सुदीन कुमार मित्र के लेखन में भाषा की नक्काशी नहीं है, आत्मप्रशंसा का भी कोई प्रयास नहीं है। वे तो नितांत सहज भाव से, अनायास भंगिमा में अपने जीवन-पथ पर पाथेय बनी, अपनी ‘परम प्राप्‍ति’ की यादों और संस्मरण को कलमबंद कर गए हैं।मातृप्रेम, ममत्व और करुणा के रसों से पगी स्नेहमयी कृति।

The Author

Sudeen Kumar Mitra

श्रीश्री सुदीन कुमार मित्र महासाधक थे, कर्म से गृहस्थ, धर्म से संन्यासी, सच्चे मानव कल्याणव्रती। दरिद्र और आर्त लोगों के कल्याण साधन के लिए उन्होंने ‘मातृसंघ जनकल्याण आश्रम’ की स्थापना की। अनगिनत लोग उनका आश्रय पाकर धन्य हुए हैं।
18 फरवरी, 1919 को बिहार-गिरिडीह के बरगंडा में जन्म ! स्कॉटिश चर्च स्कूल और कॉलेज के छात्र रहे। सन् 1941 में उन्होंने प्रथम श्रेणी में एम.ए. की डिग्री अर्जित की।
किशोर उम्र से ही साहित्य-अनुरागी। तत्कालीन ‘देश’, ‘शिशुसाथी’ समेत विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेखन। दो पत्रिकाओं ‘छायापथ’ और ‘मंजरी में नियमित लेखन।
देश-वरेण्य नेताजी सुभाषचंद्र बसु, विश्वकवि रवींद्रनाथ ठाकुर, उदयशंकर आदि प्रमुख विशिष्ट व्यक्तित्वों से उनकी जान-पहचान। छात्र जीवन में स्वयं आद्या माँ (आद्या शक्ति महामाया) ने किसी गहन रात में उन्हें दीक्षा दी थी। उनके महान् आदर्श के ही अनुकरण पर उन्हीं के द्वारा प्रतिष्ठित ‘मातृसंघ जनकल्याण आश्रम’ लोक-कल्याण के विभिन्न माध्यमों से मानव-सेवा में निरंतर अग्रसर है।
2 फरवरी, 1984 को कलकत्ता के कालीघाट में महाप्रयाण किया।

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