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Chandrakanta Ki Lokpriya Kahaniyan   

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Author Chandrakanta
Features
  • ISBN : 9789351862802
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Chandrakanta
  • 9789351862802
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2016
  • 184
  • Hard Cover

Description

इस संकलन में जिन कहानियों को शामल किया गया है, उनकी लोकप्रियता का आधार पाठकों, संपादकों के आत्मीय पत्र हैं और समीक्षकों की प्रशंसात्मक टिप्पणियाँ भी। इनकी लोकप्रियता के कई कारणों में एक कारण कथ्य एवं विषय की विविधता है। इन कहानियों में देश-विदेश के कई प्रांतों-प्रदेशों की लोक संस्कृति के इंद्रधनुंषी रंग हैं। ये कहानियाँ किसी एक ख्चे में बंद नहीं हैं। यहाँ प्रेम और आपसी सौहार्द की बेमसाल धरती कश्मीर और पंजाब में पनपे आतंकवाद की त्रासद परिणतियाँ ‘काली बर्फ’, ‘आवाज’, ‘आत्मबोध’  जैसी कहानियों में है, तो ‘पोशनूल की वापसी’, ‘तैंतीबाई’ में दीन-धमर्, वर्गवर्ण से ऊपर निश्छल स्नेह और आत्मीय संबंधों के अनूठे उदाहरण भी हैं। सामाजिक-राजनीतिक दुर्व्यवस्था आतंकवाद, अंधविश्वास और रूढ़ मान्यताओं का विरोध करती ये कहानियाँ मनुष्य के अधिकारों, स्वप्नों और उम्मीदों के लिए आवाज उठाती हैं। वैश्वीकरण की इस दौड़ में मूल्यों का विघटन, वृद्धों के प्रति बढ़ती संवेदनहीनता आदि सामयिक मुद्दों से जुड़ी ये कहानियाँ स्त्री-विमर्श के नारे दिए बिना स्त्री की अस्मता, अधिकारों और संघर्ष के प्रश्न शिद्दत से उठाती हैं। आज की नई स्त्री की बदली सोच और आत्मक शक्ति ‘आवाज’, ‘लगातार युद्ध’, ‘अलकटराज देखा’, ‘दहलीज पर न्याय’ आदि कहानियों में देखी जा सकती है। समय की ज्वलंत समस्याओं का परीक्षण करती ये कहानियाँ मानवीय करुणा और जिजीविषा को बचाकर मनुष्य की संवेदना को बचाए रखने की कोशिशें हैं। यही इनकी लोकप्रियता का कारण भी है।

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अनुक्रम

भूमिका — Pgs. 5

1. पोशनूल की वापसी — Pgs. 9

2. काली बर्फ — Pgs. 20

3. आवाज — Pgs. 31

4. आत्मबोध — Pgs. 42

5. लगातार युद्ध — Pgs. 55

6. अलकटराज दे? — Pgs. 70

7. चुप्पी की धुन — Pgs. 84

8. थोड़ा सा स्पेस अपने लिए — Pgs. 98

9. वनवास — Pgs. 110

10. खुदा बाकी रहे! — Pgs. 127

11. विदा गीत — Pgs. 138

12. तैंतीबाई — Pgs. 148

13. एक ही झील — Pgs. 159

14. दहलीज़ पर न्याय — Pgs. 169

The Author

Chandrakanta

जन्म : 3 सितंबर, 1938 को श्रीनगर, कश्मीर में।
शिक्षा : एम.ए. (पिलानी, राजस्थान यूनिवर्सिटी), बी.ए., बी.एड. (जम्मू-कश्मीर यूनिवर्सिटी); हिंदी प्रभाकर (ओरिएंटल कॉलेज, श्रीनगर, कश्मीर), (एम.ए.,बी.एड. में प्रथम स्थान)।
प्रकाशन : चौदह कहानी-संग्रह, सात कथा संकलन, सात उपन्यास (कथा सतीसर, अपने-अपने कोणार्क आदि), ‘यहीं कहीं आसपास’ (कविता-संग्रह), ‘हाशिये की इबारतें’ (आत्मकथात्मक संस्मरण), ‘मेरे भोजपत्र’ (संस्मरण एवं आलेख), ‘प्रश्‍नों के दायरे में’ (साक्षात्कार) आदि।
सम्मान-पुरस्कार : प्रतिष्‍ठित ‘व्यास सम्मान’ के अलावा हिंदी अकादमी, दिल्ली; हरियाणा साहित्य अकादमी, भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा अनेक पुस्तकें पुरस्कृत। रामचंद्र शुक्ल संस्थान वाराणसी, वाग्देवी पुरस्कार आदि एक दर्जन से अधिक अन्य पुरस्कार-सम्मान। 50 से अधिक शोधकार्य संपन्न; दूरदर्शन तथा आकाशवाणी से अनेक धारावाहिक एवं कहानियों का प्रसारण। पचास छात्र-छात्राओं ने समग्र साहित्य पर शोध किया/ कर रहे हैं।

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