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Vriddhavastha Mein Sukhi Jeevan   

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Author Satyendra Nath Rai
Features
  • ISBN : 9789382898825
  • Language : Hindi
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More Information

  • Satyendra Nath Rai
  • 9789382898825
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 2016
  • 112
  • Hard Cover

Description

बुढ़ापा स्मरण-शक्ति का हरण करनेवाला, रूप का पराभव करनेवाला, आनंद का विनाशक, वाणी-कान-नेत्र को जकड़नेवाला, थकावट उत्पन्न करनेवाला तथा बल एवं वीर्य की हत्या करनेवाला है। शरीरधारियों के लिए बुढ़ापे के समान कोई शत्रु नहीं है।
—अश्वघोष (सौंदरनंद, 9। 33)
हालाँकि यह जीवन का शाश्वत सत्य है, परंतु इस सत्य को स्वीकार कर स्वयं को जीवन के इस अंतिम प्रहर के लिए मानसिक रूप से तैयार कर इसकी क्लांतता को कम किया जा सकता है।
वृद्धावस्था में सुखी जीवन व्यतीत करने के लिए हमें भविष्य के प्रति सुरक्षा के उत्तरदायित्वों को समझना होगा। प्रस्तुत पुस्तक में वृद्धावस्था एवं अवकाश-प्राप्ति के समय सुखमय जीवन के लिए अनेक महत्त्वपूर्ण तथ्यों की जानकारी दी गई है। वृद्धावस्था से पूर्व व्यक्ति को किन-किन बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए, भविष्य संबंधी किस प्रकार की योजनाएँ बनानी चाहिए तथा स्वयं के अनुकूल परिस्थितियों के निर्माण का प्रयास किस प्रकार करना चाहिए—ऐसी महत्त्वपूर्ण जानकारी देकर वृद्धावस्था में सुखी जीवन हेतु मार्गदर्शन किया गया है।
यह पुस्तक जीवन के अस्त होते सूर्य के प्रति उदात्त भाव जाग्रत् रखने का विनम्र प्रयास है।

The Author

Satyendra Nath Rai

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