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Vijaydan Detha ki lokpriya kahaniyan   

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Author Vijaydan Detha
Features
  • ISBN : 9789351869665
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Vijaydan Detha
  • 9789351869665
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2016
  • 176
  • Hard Cover

Description

झोला की तीमारदारी में बहू और ग्यारह बरस का पोता भी लोगों के कहे-कहे जीप में बैठ गए।...और पीछे रह गई हञ्जा-माऊ—निपट अकेली! इतनी लंबी-लड़ाक जिंदगी में वह कभी अकेली नहीं रही। और न सपने में भी उसे अकेलेपन का कभी एहसास हुआ। घरवालों के बीच वह हरदम ऐसी आश्वस्त रहती थी, मानो सार-सँभाल के वज्र-कुठले में नितांत सुरक्षित हो! उसकी निर्बाध कुशलक्षेम में कहीं कोई कसर नहीं थी। और आज अकेली होते ही उसके अटूट विश्वास की नींव मानो अतल गहराई में धँस गई! बड़ी मुश्किल से पाँव घसीट-घसीटकर वह अस्पताल से अपने घर पहुँची।

वक्त तो कयामत की भी परवाह नहीं करता, फिर उस बामन की क्या औकात! रात-दिन का चक्र अपनी रफ्तार से चलता रहा और अपनी बारी से अमावस भी आ गई। इधर देवी परेशान थी। आखिर इस बखेडि़ये को यह क्या बेजा सूझी! अगर एक दफा लोगों के मन से देवी-देवताओं की आस्था उठ गई तो फिर कोई उनका नाम लेवा भी नहीं मिलेगा। दूसरे जीवों को तो अपने जीवन से परे कोई ध्यान ही नहीं। उनकी बला से भगवान् कल मरे या आज। 
—इसी संग्रह से
भारतीय लोक संस्कृति, परंपराओं और मान्यताओं को नए प्रतिमान देनेवाले विजयदान देथा उपाख्य ‘बिज्जी’ ने अपनी प्रभावी लेखनी के माध्यम से शोषित, उपेक्षित और पिछड़े वर्गों को समाज की मुख्यधारा में लाने का पुरजोर आग्रह किया। सामाजिक चेतना जाग्रत् करनेवाली उनकी प्रभावी लोकप्रिय कहानियों का पठनीय संकलन।

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अनुक्रम

1. आशा अमरधन — 7

2. पुटिया-चाचा — 17

3. केंचुली — 46

4. दूरी — 73

5. उजाले के मुसाहिब — 90

6. मूजी सूरमा — 103

7. रोजनामचा — 113

8. आदमखोर — 120

9. सभ्य लोमड़ी — 130

10. ठाकुर का रूठना — 133

11. बेटा किसका — 143

12. दुविधा — 149

13. राजीनामा — 170

14. रिआयत — 175

The Author

Vijaydan Detha

जन्म : 1 सितंबर, 1926, बोरुंदा, जोधपुर में।
शिक्षा : एम.ए. प्रथम वर्ष (हिंदी)। 
प्रकाशन : राजस्थानी तथा हिंदी में विभिन्न विधाओं पर विपुल साहित्य। पर्याप्त मात्रा में बाल साहित्य भी।
फिल्म एवं नाटक : विजयदान देथा की दर्जनों कहानियों पर टी.वी. फिल्में और धारावाहिक बने हैं, जिनमें शांति चौधरी द्वारा निर्मित छह फिल्में प्रमुख हैं। 
पुरस्कार-सम्मान : बिहारी पुरस्कार (के.के. बिड़ला फाउंडेशन) दिल्ली, साहित्य अकादेमी फेलोशिप (साहित्य अकादेमी का सर्वोच्च सम्मान), महाराणा कुंभा पुरस्कार, कथा चूड़ामणि, पद्मश्री सम्मान, टेगौर साहित्य पुरस्कार, कवि काग पुरस्कार, राव सीहा अवार्ड, राजस्थान रत्न अवार्ड एवं अन्य सम्मान।
स्मृतिशेष : 10 नवंबर, 2013।

 

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