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Author Mahesh Prasad Singh
Features
  • ISBN : 8188266574
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
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  • Kindle Store

More Information

  • Mahesh Prasad Singh
  • 8188266574
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2016
  • 200
  • Hard Cover

Description

“टिकट कब से जनाना-मर्दाना होने लगा, बाबू?” “मूर्ख, नित्य नियम बदलता है और बदलनेवाले होते हैं मंत्री। दूरदर्शन पर प्रचार हो गया, सभी अंग्रेजी अखबारों में छप गया और इनको मालूम ही नहीं है।” “तब क्या होगा?” “पैसे निकालो।” “कितना?” “पाँच सवारी के एक सौ पच्चीस रुपए। यों रसीद लोगे तो एक हजार लगेगा।” “एक हजार! तब छोड़िए रसीद। उसको लेकर चाटना है क्या?” गाँठ खुली, गिन-गिनकर रुपए दिए गए। “और देखो, किसी को कहना नहीं। गरीब समझकर तुम पर हमने दया की है।” बेचारे टिकट बाबू के आदेश पर अब प्लेटफॉर्म से निकलने के लिए पुल पर चढ़े। सिपाही पीछे लग गया। “ऐ रुको, मर्दाना टिकट लेता नहीं है और हम लोगों को परेशान करता है।” उनमें से सबसे बुद्धिमान् बूढ़े ने किंचित् ऊँचे स्वर में कहा, “दारोगाजी, बाबू को सब दे दिया है।” दारोगा संबोधन ने सिपाही के हाथों को मूँछों पर पहुँचा दिया, “जनाना टिकट के बदले दंड मिलता है, जानते हो?” “हाँ दारोगाजी, लेकिन हम तो जमा दे चुके हैं।” जेब से हथकड़ी निकाल लोगों को दिखाते हुए सिपाही ने कहा, “अरे, हथकड़ी हम लगाते हैं या वह बाबू?” “आप!” “तब मर्दाना टिकट के लिए पचास निकालो।” और पुन: गाँठ अंतिम बार खुली। —इसी पुस्तक से

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अनुक्रम  
१. पतिव्रता —Pgs. ११ ४२. फिर वैताल डाल पर —Pgs. ८९
२. इतिहास-पुरुष —Pgs. १३ ४३. अविचल निष्ठा कर्ण की —Pgs. ९१
३. द्रौपदी के खुले केश —Pgs. १५ ४४. रो उठा कर्ण —Pgs. ९३
४. तरमिस —Pgs. १७ ४५. कर्ण को जलांजलि —Pgs. ९६
५. मैकाले षड्यंत्र —Pgs. १८ ४६. भस्मी की प्यास —Pgs. ९८
६. दुर्योधन का वंश-प्रेम —Pgs. २० ४७. यौवन का दान —Pgs. १०१
७. मुक्ति का मार्ग —Pgs. २२ ४८. स्वामी विवेकानंद —Pgs. १०४
८. प्रधानमंत्री बनते-बनते —Pgs. २४ ४९. नींव का पत्थर —Pgs. १०६
९. नाना बुद्धू —Pgs. २६ ५०. रडार की माता —Pgs. १०८
१०. मलबे से बना कुतुबमीनार —Pgs. २७ ५१. कन्यादान का निदान —Pgs. ११०
११. दक्षिणा —Pgs. २९ ५२. प्रेत संवाद —Pgs. ११३
१२. उड़ गया पोखर —Pgs. ३१ ५३. जीवात्मा की गति —Pgs. ११६
१३. विश्व-विजेता की प्रथम  ५४. नारी बनी पुरुष —Pgs. ११९
॒॒पराजय —Pgs. ३३ ५५. क्षमता अपनी-अपनी —Pgs. १२१
१४. मंत्रीजी बाथरूम में —Pgs. ३५ ५६. राजा से महर्षि तक की यात्रा —Pgs. १२४
१५. जंगे-आजादी के सिपाही —Pgs. ३६ ५७. जन्म पारसी का —Pgs. १२७
१६. साड़ी नहीं, स्कर्ट —Pgs. ३८ ५८. मुहम्मद बिन कासिम 
१७. ग्राहक की पूजा —Pgs. ४० ॒॒की खाल —Pgs. १२९
१८. भगजोगनी —Pgs. ४१ ५९. शिवाजी का मोह —Pgs. १३२
१९. सम्मोहन —Pgs. ४३ ६०. विदेशी विनाश-लीला —Pgs. १३४
२०. बेल के काँटे —Pgs. ४५ ६१. पिंडदान का रहस्य —Pgs. १३७
२१. पानी पड़ा तो आजीवन आपके  ६२. चंद्र-यात्री —Pgs. १४०
॒॒यहाँ पानी भरूँगी —Pgs. ४७ ६३. प्रेत का शरीर-धारण —Pgs. १४३
२२. दुलहन बन आऊँगी —Pgs. ५० ६४. दीवार के आँसू —Pgs. १४५
२३. परीक्षा का प्रणाम —Pgs. ५२ ६५. चौधराहट —Pgs. १४७
२४. नववर्ष का दाह —Pgs. ५४ ६६. स्वस्ति न इंद्रो —Pgs. १४९
२५. मर्दाना टिकट —Pgs. ५७ ६७. नंदन वन की नियति —Pgs. १५२
२६. नपुंसक का वोट —Pgs. ५९ ६८. श्रीकृष्ण का महाप्रयाण —Pgs. १५५
२७. टिकट का बँटवारा —Pgs. ६१ ६९. जौहर-ज्वाला —Pgs. १५८
२८. बालक बाबू —Pgs. ६२ ७०. पसीने का मूल्य —Pgs. १६१
२९. शांति-सुव्यवस्था —Pgs. ६३ ७१. अनोखा न्यायाधीश —Pgs. १६३
३०. द्वंद्व से मुक्ति —Pgs. ६४ ७२. ब्रह्म-तत्त्व ज्ञान —Pgs. १६५
३१. त्रेता पर द्वापर का ऋण —Pgs. ६६ ७३. नचिकेता —Pgs. १६८
३२. द्रौपदी का उलाहना —Pgs. ६९ ७४. अशोक धाम —Pgs. १७१
३३. भीष्म-शिविर में द्रौपदी —Pgs. ७१ ७५. राख पर जमी मुसकान —Pgs. १७४
३४. पाँच मिनट में भूगोल- ७६. मुगलिया परदा उठा —Pgs. १७७
परिवर्तन —Pgs. ७३ ७७. मुगलों का अंतिम खेल —Pgs. १८०
३५. केले के छिलके —Pgs. ७५ ७८. शिशु संस्कार —Pgs. १८३
३६. भगतसिंह का ठहाका —Pgs. ७७ ७९. रंगकर्मी —Pgs. १८६
३७. गढ़ आया, सिंह चला गया —Pgs. ७९ ८०. वाराही की देन बड़हिया —Pgs. १८९
३८. न्याय का खेल —Pgs. ८१ ८१. नई रजाई —Pgs. १९२
३९. निर्भीकता का पाठ —Pgs. ८३ ८२. गड़ा मुरदा —Pgs. १९५
४०. शाकाहारी बिल्ली —Pgs. ८५ ८३. चुनावी बुखार —Pgs. १९८
४१. चार्वाक दर्शन —Pgs. ८७  

The Author

Mahesh Prasad Singh

जन्म : बिहार प्रांत के बड़हिया, लखीसराय में।
कृतित्व : ‘रेत कमल’ तथा ‘आत्मा की यात्रा एवं संस्कार’ दो उपन्यास प्रकाशित एवं प्रशंसित।
इसके अलावा पत्र-पत्रिकाओं में कहानी, निबंध, समीक्षा आदि प्रकाशित। आकाशवाणी से आलेख पाठ प्रसारित।
संप्रति : विश्‍वविद्यालय के प्राचार्य एवं हिंदी विभागाध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त होकर साहित्य सृजन में रत।

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