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SAMPOORNA BAL SAHITYA (VOL. 1)

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Author Shriramvriksha Benipuri
Features
  • ISBN : 9789350481011
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Shriramvriksha Benipuri
  • 9789350481011
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2018
  • 264
  • Hard Cover
  • 545 Grams

Description

भारत में जिन दिनों बाल-साहित्य प्रारंभ हुआ था, उन्हीं दिनों बेनीपुरीजी ने इस विधा को चुना था और बच्चों के लिए लिखना शुरू कर दिया। बेनीपुरी हिंदी बाल-साहित्य के एकमात्र ऐसे लेखक हैं, जिन्होंने योजनाबद्ध तरीके से बड़े पैमाने पर बाल-साहित्य लिखा है। उन्होंने बाल-कथाएँ लिखीं, महापुरुषों की जीवनियाँ तैयार कीं और बच्चों को प्रेरित करनेवाली साहस-कथाएँ भी लिखीं। ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र की नई-से-नई जानकारी का परिचय दिया। संभवत: रवींद्रनाथ ठाकुर को छोड़कर किसी भी दूसरे भारतीय लेखक के बाल-साहित्य में बेनीपुरी जितनी विविधता नहीं है। उन्होंने 1926 में सर्वप्रथम हिंदी में बच्चों की पत्रिका 'बालक’ का प्रकाशन और संपादन भी शुरू किया था।
इस संकलन में 'लंगट सिंह’ (प्रथम प्रकाशित 1926), 'फूलों का गुच्छा’ (प्रथम प्रकाशित 1938), 'अमृत की वर्षा’ (प्रथम प्रकाशित 1952), 'रंग-बिरंग’ (प्रथम प्रकाशित 1942), 'पद-चिह्न’ (प्रथम प्रकाशित 1938 के साथ 'इनके चरण-चिह्नों पर’ (प्रथम प्रकाशित 1949) सम्मिलित हैं।

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अनुक्रमणिका

अपनी बात —Pgs 7

लंगट सिंह

दो शब्द —Pgs 15

फूलों का गुच्छा

1. अभागा —Pgs 47

2. रानी की चोरी —Pgs 61

3. टिलटिल की शादी —Pgs 65

4. गरीब की लड़की —Pgs 74

5. सच्चा राजकुमार —Pgs 78

6. मिस्र की शहजादी —Pgs 87

7. अलबेले बहादुर —Pgs 93

8. सच्ची दोस्ती —Pgs 99

9. नटखट लड़का —Pgs 104

अमृत की वर्षा

10. अमृत की वर्षा —Pgs 113

11. दिनों की कहानी —Pgs 117

रंग-बिरंग

12. स्कूलों की दुनिया —Pgs 123

13. नाव पर —Pgs 127

14. फेरीवाला —Pgs 131

15. मछली का शिकार —Pgs 134

16. टोपियाँ —Pgs 138

17. शिकार और शिकारी —Pgs 142

18. अमन के रक्षक —Pgs 145

19. नाचो हे नाचो नटवर! —Pgs 149

20. गाना-बजाना —Pgs 152

21. खेलकूद की दुनिया —Pgs 155

22. चल बे घोड़े, चल रे चल! —Pgs 159

23. कंजड़ —Pgs 162

पद-चिह्न

24. भारत की खोज में —Pgs 167

25. शारदा के सपूत —Pgs 173

26. देश के नाम पर —Pgs 182

27. जीवन-त्राता —Pgs 189

28. मानव-कल्याण की ओर —Pgs 194

इनके चरण-चिह्नों पर

29. अलबेले साझीदार —Pgs 201

30. आँचल में बारूद —Pgs 203

31. बहादुर किसान —Pgs 205

32. पृथ्वी के धधकते हुए गर्भ से —Pgs 207

33. हाथ या मोमबत्ती —Pgs 210

34. लेखक की पत्नी —Pgs 212

35. झंडा-चोर —Pgs 214

36. तेजस्वी कलाकार —Pgs 217

37. बाप-बेटा —Pgs 219

38. टे्रन उलटने से बची —Pgs 221

39. कलम का धनी —Pgs 223

40. नरक-कुंड से —Pgs 225

41. मौत को हाथ में लेकर —Pgs 227

42. वह छोटी सी बच्ची! —Pgs 229

43. विज्ञान के शहीद —Pgs 232

44. सच्ची दोस्ती —Pgs 235

45. अंतिम शहीद —Pgs 237

46. लहरों पर घुड़दौड़ —Pgs 239

47. वचन की रक्षा के लिए —Pgs 241

48. शीतल जल की तीन प्यालियाँ! —Pgs 243

49. धन्य बेटी! —Pgs 246

50. चिड़ीमार की चुप्पी —Pgs 248

51. सच्चा साधु —Pgs 250

52. भेडि़यों से भिड़ंत —Pgs 252

53. नाविक! नाविक! —Pgs 255

54. परोपकारी लड़की —Pgs 257

55. तैराक लड़के —Pgs 259

56. बलिदान की चरम सीमा —Pgs 262

The Author

Shriramvriksha Benipuri

"जन्म : 23 दिसंबर, 1899 को बेनीपुर, मुजफ्फरपुर (बिहार) में।
शिक्षा : साहित्य सम्मेलन से विशारद।
स्वाधीनता सेनानी के रूप में लगभग नौ साल जेल में रहे। कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के संस्थापकों में से एक। 1957 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से विधायक चुने गए।
संपादित पत्र : तरुण भारत, किसान मित्र, गोलमाल, बालक, युवक, कैदी, लोक-संग्रह, कर्मवीर, योगी, जनता, तूफान, हिमालय, जनवाणी, चुन्नू-मुन्नू तथा नई धारा।
कृतियाँ : चिता के फूल (कहानी संग्रह); लाल तारा, माटी की मूरतें, गेहूँ और गुलाब (शब्दचित्र-संग्रह); पतितों के देश में, कैदी की पत्‍नी (उपन्यास); सतरंगा इंद्रधनुष (ललित-निबंध); गांधीनामा (स्मृतिचित्र); नया आदमी (कविताएँ); अंबपाली, सीता की माँ, संघमित्रा, अमर ज्योति, तथागत, सिंहल विजय, शकुंतला, रामराज्य, नेत्रदान, गाँव का देवता, नया समाज और विजेता (नाटक); हवा पर, नई नारी, वंदे वाणी विनायकौ, अत्र-तत्र (निबंध); मुझे याद है, जंजीरें और दीवारें, कुछ मैं कुछ वे (आत्मकथात्मक संस्मरण); पैरों में पंख बाँधकर, उड़ते चलो उड़ते चलो (यात्रा साहित्य); शिवाजी, विद्यापति, लंगट सिंह, गुरु गोविंद सिंह, रोजा लग्जेम्बर्ग, जय प्रकाश, कार्ल मार्क्स (जीवनी); लाल चीन, लाल रूस, रूसी क्रांति (राजनीति); इसके अलावा बाल साहित्य की दर्जनों पुस्तकें तथा विद्यापति पदावली और बिहारी सतसई की टीका।
स्मृतिशेष : 7 सितंबर, 1968।

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