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Sabhi Ke Liye Yoga   

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Author B.K.S.Iyengar
Features
  • ISBN : 9789351865346
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • B.K.S.Iyengar
  • 9789351865346
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2018
  • 344
  • Hard Cover

Description

योग-साधना के विश्वविख्यात उपासक एवं योगाचार्य बी.के.एस. आयंगार द्वारा योग विषय पर हिंदी में प्रकाशित पहली पुस्तक। यह कहना अतिशयोक्ति न होगी कि योग जैसे विस्तृत विषय पर लिखित यह पुस्तक परंपराओं से हटकर है।
इसमें योगासनों के विशुद्ध रूप, उनका शुद्धाचरण, उनकी बारीकियाँ, शरीर की कमियाँ और रोग-व्याधियों के अनुसार योगासनों का चयन आदि के संबंध में सविस्तार मार्गदर्शन सहज, सरल एवं बोधगम्य रूप में किया गया है। योग और योगासनों का सूक्ष्म विश्लेषण, जो हर आयु-वर्ग के पाठकों हेतु उपयोगी है।
अधिक विस्तृत व उपयोगी जानकारियाँ, जिन्हें पढ़कर पाठकगण आसानी से योग, योगासन व प्राणायाम सीख सकते हैं। विशिष्ट संप्रेषण शैली एवं शरीर विज्ञान संबंधी वैज्ञानिक विश्लेषण पुस्तक की अतिरिक्त विशेषता है। योगासनों की विभिन्न स्थितियों को दरशाते लगभग 300 रेखाचित्र, ताकि विषय को समझने में आसानी रहे। आसन, प्राणायाम, धारणा, ध्यान आदि अंगों के सर्वांगीण विवेचन से परिपूर्ण पुस्तक।
प्रत्येक परिवार के लिए पठनीय, उपयोगी एवं संग्रहणीय पुस्तक।

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अनुक्रम  
1. सर्वस्पर्शी साभाना — 13 26. क्षेत्र की मशक्कत करनेवाला हलासन — 155
2. योग ऱ एक वैश्विक विज्ञान — 16 27. दौर्मनस्य से सौमनस्य की ओर — 163
3. अष्टांग साभाना — 19 28. आसनों की जननी ऱ सर्वांगासन — 174
4. योगासनों की उपयोगिता — 22 29. दीवार के सहारे सर्वांगासन — 179
5. नियमावली — 24 30. मेरुदंड में शक्ति-मंथन ऱ भरद्वाजासन — 185
6. देह ईश्वर का मंदिर — 28 31. उदरांगों का स्वयं मर्दन और मंथन — 191
7. समस्थिति — 34 32. मेदहारी ऊभर्व-प्रसारित पादासन — 198
8. शरीर की भौमितिक रचना — 40 33. बहुगुणी सुप्तपादांगुष्ठासन — 206
9. चित्त तक की यात्रा — 46 34. पेट के लिए नावासन — 213
10. योगमाता योगिका — 52 35. चिकित्सक क्रिया और क्रम — 218
11. अनुकूल गुण परिणाम — 58 36. आसनों का राजा शीर्षासन — 223
12. तटस्थ चित्त प्रसारित पादोत्तानासन — 64 37. सालंब शीर्षासन की पूर्व तैयारी — 230
13. मन की समस्थिति के लिए — 69 38. सालंब शीर्षासन-1 — 238
14. वीणादंड ऱ उत्तानासन — 75  39. सालंब शीर्षासन-2 — 245
15. उत्तिष्ठ स्थिति के आसनों की क्रम योजना — 82 40. पूर्वप्रतन क्रिया — 254
16. शांत बैठने का महत्त्व — 87 41. मन का आलस्य दूर करनेवाले आसन — 263
17. स्वस्तिकासन शृंखला — 93 42. कमनीय इंद्रभानुष — 271
18. प्रबल मनोवेग और ऊर्जा के लिए वीरासन — 99 43. अभ्यास का सुनियोजन एवं पद्धति — 282
19. पश्चिमप्रतन आसनों का राजा जानुशीर्षासन — 107 44. आसनों का समापन शवासन से — 290
20. पश्चिमोत्तानासन — 113 45. शवासन का सुनियोजन एवं संकलन — 300
21. वरदायी बद्ध कोणासन ऱ उपविष्टकोणासन — 123 46. अमृत-मंथन — 308
22. बीमारी के बाद बल-सर्जन एवं श्रम-परिहार — 130 47. आसनों के बाद प्राणायाम की पूर्व तैयारी — 313
23. बैठकर किए जानेवाले आसनों की उपयुक्तता — 138 48. उज्जायी प्राणायाम — 320
24. विपरीत स्थिति के आसनों की पूर्व तैयारी — 143 49. प्राणायाम — 327
25. ऐहिक और पारमार्थिक जीवन को जोड़नेवाला सेतु — 148 50. भयानपूर्वक समापन — 339 

The Author

B.K.S.Iyengar

जन्म 24 दिसंबर, 1918 को कर्नाटक के कोलार जिले के बेलूर नामक स्थान में हुआ। पंद्रह वर्ष की अल्पायु में योग सीखना प्रारंभ किया और 1936 में मात्र अठारह वर्ष की आयु में धारवाड़ के कर्नाटक कॉलेज में योग सिखाना प्रारंभ किया।
आजीवन योग के प्रति समर्पण एवं सेवाभाव के साथ निस्स्वार्थ कार्यरत; अनेक सम्मान एवं उपाधियों से विभूषित। वर्ष 1991 में ‘पद्मश्री’ और जनवरी 2002 में ‘पद्मविभूषण’ से सम्मानित। अगस्त 1988 में अमेरिका की ‘मिनिस्ट्री ऑफ फेडरल स्टार रजिस्ट्रेशन’ ने सम्मान-स्वरूप उत्तरी आकाश में एक तारे का नाम ‘योगाचार्य बी.के.एस. आयंगार’ रखा।
सन् 2003 में ‘ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी’ में आधिकारिक तौर पर नाम सम्मानित।
सन् 2004 में अमेरिकन ‘टाइम मैगजीन’ द्वारा ‘हीरोज एंड आइकंस’ उपशीर्षक से विश्‍व के सर्वाधिक शक्‍तिशाली और प्रभावशाली व्यक्‍तियों की सूची में सम्मिलित।
आधुनिक भारत के योग विषय के भीष्म पितामह के रूप में प्रसिद्धि। विश्‍व के अनेक ख्यात एवं लब्धप्रतिष्‍ठ व्यक्‍ति शिष्य रहे हैं।

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