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Rita Shukl Ki Lokpriya Kahaniyan   

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Author Rita Shukla
Features
  • ISBN : 9789351862826
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Rita Shukla
  • 9789351862826
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2016
  • 184
  • Hard Cover

Description

हिंदी कथा-साहित्य-जगत् में ऋता शुक्ल का नाम सम्मानपूर्वक लिया जाता है। उनकी कहानियों में भारतीय ग्राम संस्कृति का भाव-विह्वल स्वर मिलता है, जो उन्हें सहज ही हिंदी के श्रेष्ठ कथाकारों की प्रथम पंक्ति में स्थान दिलाता है। उनकी प्रत्येक रचना में धवल पारदर्शी चाँदनी में भीगी सरल-तरल करुणा का संगीतात्मक स्पर्श है, जिसकी अंतर्लय संवेदना की गहरी धार से जुड़ी हुई है।
ऋता शुक्ल की रचनाएँ अनुभवों की रसमयता में पगी हुई एक ऐसे यात्रा-क्रम का स्मरण दिलाती हैं, जहाँ मानवीय करुणा की अनगिनत लकीरें हैं। उनमें चरित्रों की अद्भुत विविधता और अकूत विस्तार है। नंगे पाँव अंगारों पर चलने की वेदना का दुस्सह भार मन-प्राणों में साधकर जीने की आस बँधाने वाली है यह शब्द-यात्रा। चेतना की कोमल सतह पर ग्रामगंधी करुणा के दूर्वादल उगाने का सफल प्रयास उनकी कहानियों का वैशिष्ट्य है। भारतीय संस्कृति के निष्ठा-रस से सिंचित उनकी जिजीविषा धारा के विरुद्ध बहने के लिए संकल्पबद्ध दिखाई पड़ती है। भोजपुरी लोकगीतों के माधुर्य से सगुंफित, वैचारिक उदात्तता के बोध से भरी उनकी रचनाधर्मिता संजीवनी जलधारा सी मूल्यवान है। आलोचकीय स्तुतिगान के उधार लिये पंखों से प्रसिद्धि का आकाश छूने की ललक उनमें नहीं है। सहृदय पाठक या श्रोता को सच्ची आत्मिक शांति देती हुई लोक-मानस के लिए संघर्षरत उनकी कहानियाँ लोकप्रियता के उत्तुंग शिखर को छूनेवाली हैं।

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कथा-क्रम

निवेदन —Pgs 5

1. कनिष्ठा उँगली का पाप —Pgs 9

2. हबे, प्रभात हबे —Pgs 72

3. रामो गति देहु सुमति...  —Pgs 103

4. निष्कृति —Pgs 117

5. जीवितोस्मि...!  —Pgs 144

6. देस बिराना —Pgs 159

The Author

Rita Shukla

जन्म : 14 नवंबर, 1949 को डिहरी ऑन सोन में।
शिक्षा : स्नातक हिंदी ‘प्रतिष्ठा’ परीक्षा में विशिष्टता सहित प्रथम श्रेणी में प्रथम स्थान एवं स्वर्ण पदक प्राप्त, पी-एच.डी.।
रचना-संसार : ‘अरुंधती’, ‘अग्निपर्व’, ‘समाधान’, ‘बाँधो न नाव इस ठाँव’, ‘कनिष्ठा उँगली का पाप’, ‘कितने जनम वैदेही’, ‘कब आओगे महामना’, ‘कथा लोकनाथ की’ (उपन्यास); तीन उपन्यासकाएँ; ‘दंश’, ‘शेषगाथा’, ‘कासों कहों मैं दरदिया’, ‘मानुस तन’, ‘श्रेष्ठ आंचलिक कहानियाँ’, ‘कायांतरण’, ‘मृत्युगंध, जीवनगंध’, ‘भूमिकमल’ तथा ‘तर्पण’ (कहानी-संग्रह)।
सम्मान-पुरस्कार : ‘क्रौंचवध तथा अन्य कहानियाँ’ को भारतीय ज्ञानपीठ युवा कथा सम्मान, ‘लोकभूषण सम्मान’, ‘थाईलैंड पत्रकार दीर्घा सम्मान’, ‘राधाकृष्ण सम्मान’, ‘नई धारा रचना सम्मान’, ‘प्रसार भारती हिंदी सेवा सम्मान’, ‘हिंदुस्तानी प्रचार सभा सम्मान’, ‘हिंदी सेवा सम्मान’ एवं अन्य सम्मान। कला संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार की सदस्य। केंद्रीय राजभाषा समिति की सदस्य, साहित्य अकादमी की सदस्य।
 

 

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