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Rashtriya Chetna Ko Chunauti

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Author Kuldeep Chand Agnihotri
Features
  • ISBN : 9789380183589
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Kuldeep Chand Agnihotri
  • 9789380183589
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2012
  • 160
  • Hard Cover
  • 330 Grams

Description

राष्‍ट्रीय चेतना को चुनौती—कुलदीप चंद अग्निहोत्रीभारत और भारतीयता की पहचान को खंडित करने के प्रयास मुहम्मद बिन कासिम के सिंध पर आक्रमण से ही प्रारंभ हो गए थे। सल्तनत एवं मुगल काल के शासकीय प्रयास भी इस दिशा में होते रहे। मतांतरण तो हो ही रहा था, लेकिन इस सब के बावजूद विदेशी इसलामी सत्ता भारतीय समाज के अंतःस्थल को छू न सकी। उसके बाद ब्रिटिश सत्ता के साथ भारत में चर्च आया। जहाँ सत्ता ने भारतीय समाज को निर्जीव कर उसे परस्पर बाँटने के प्रयास किए, वहीं चर्च ने मतांतरण के माध्यम से भारत की राष्‍ट्रीयता को बदलने का षड्यंत्रकारी आंदोलन छेड़ा। यह प्रक्रिया भारतवर्ष में अभी तक चल रही है। विदेशी चेतना एवं व‌िश्‍लेषणों से प्रभावित भारत का वर्तमान शासक वर्ग भी कुछ सीमा तक भारत की मूल पहचान को नकारकर इस आंदोलन की सहायता करने लगा। वे शक्‍तियाँ हिंदू अथवा भारतीय को कठघरे में खड़ा करने का प्रयास करने लगीं, जिनके अपने भीतर स्वतंत्र चिंतन एवं असहमति के लिए रत्ती भर स्थान नहीं है। भारत की पहचान बदलने एवं राष्‍ट्रीय चेतना को धुँधला करने के इन्हीं षड्यंत्रों के चलते भारत का विभाजन हुआ। दुर्भाग्य से वही षड्यंत्र अभी भी भारत को भीतर से खोखला करने के प्रयास कर रहे हैं।
प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने प्रस्तुत पुस्तक में इन्हीं प्रश्‍नों पर विस्तार से विचार ही नहीं किया है, बल्कि इससे होनेवाले खतरों की ओर संकेत भी किया है।

The Author

Kuldeep Chand Agnihotri

जन्म : 26 मई, 1951
शिक्षा : बी.एस-सी., हिंदी साहित्य और राजनीति विज्ञान में एम.ए.; गांधी अध्ययन, अनुवाद, तमिल, संस्कृत में डिप्लोमा; पंजाब विश्‍वविद्यालय
से आदिग्रंथ आचार्य की उपाधि एवं पी-एच.डी.।
कृतित्व : अनेक वर्षों तक अध्यापन कार्य, पंद्रह वर्षों तक बाबा बालकनाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय (हि.प्र.) में प्रधानाचार्य रहे। उसके बाद हिमाचल प्रदेश विश्‍वविद्यालय के धर्मशाला क्षेत्रीय केंद्र के निदेशक रहे। हिमाचल प्रदेश में दीनदयाल उपाध्याय महाविद्यालय की स्थापना की। आपातकाल में जेलयात्रा, पंजाब में जनसंघ के विभाग संगठन मंत्री तथा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के सचिव रहे। लगभग दो दर्जन से अधिक देशों की यात्रा; पंद्रह से भी अधिक पुस्तकें प्रकाशित। पत्रकारिता में कुछ समय ‘जनसत्ता’ से भी जुड़े रहे।
संप्रति : भारत-तिब्बत सहयोग मंच के अखिल भारतीय कार्यकारी अध्यक्ष और दिल्ली में ‘हिंदुस्तान’ समाचार से संबद्ध।

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