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Rajyoga   

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Author Manoj Kumar Chaturvedi
Features
  • ISBN : 9789386300553
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more

More Information

  • Manoj Kumar Chaturvedi
  • 9789386300553
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2017
  • 192
  • Hard Cover

Description

संस्कृत वाङ्मय में सर्वश्रेष्ठ ज्योतिषशास्त्र की उत्पत्ति ब्रह्मा से ही हुई है। यह लोकप्रसिद्ध है। इस जगत् के पितामह ब्रह्मा हैं और उन्होंने यज्ञ साधना के निमित्त अपने चारों मुखों से चारों वेदों का सृजन किया। इससे यह प्रमाणित होता है कि वेद यज्ञ के लिए हैं। वे यज्ञकाल के आश्रय होते हैं। उस काल की सिद्धि के लिए तथा काल का बोध कराने के लिए ब्रह्मा ने ज्योतिषशास्त्र का निर्माण कर सर्वप्रथम नारद को सुनाया। नारद ने इस शास्त्र के महत्त्व को स्वीकार करके इस लोक में प्रवर्तित किया। मतांतर से यह बात भी श्रुतिगोचर है कि सर्वप्रथम सूर्य ने ज्योतिषशास्त्र को मयासुर को दिया था। उसके बाद इस जगत् में ज्योतिषशास्त्र प्रवर्तित हुआ।
भारतीय विद्याओं में ज्योतिषशास्त्र की महिमा अनुपम है। वेद के छह अंगों के मध्य में इस ज्योतिषशास्त्र की गणना की जाती है। प्राचीनकाल से लेकर आज तक ज्योतिषशास्त्र के अनेक आचार्य हुए, जिन्होंने न केवल भारतीय समाज में अपितु संपूर्ण विश्व में इस शास्त्र की प्रतिष्ठा एवं विवेचना की।
नारद और वसिष्ठ के बाद फलित ज्योतिष के विषय में महर्षि पद को प्राप्त करनेवाला पाराशर को ही माना जाता है, क्योंकि कलियुग में पाराशर स्मृति ही श्रेष्ठ है। महर्षि पाराशर के ग्रंथ ज्योतिषशास्त्र के जिज्ञासुओं के लिए यह पुस्तक अत्यंत उपयोगी है।

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अनुक्रम

प्ररोचना — Pg. ५

कृतज्ञताज्ञापन — Pg. १७

१. होराशास्त्र की परंपरा और पाराशर — Pg. २१

२. पाराशर के मतानुसार तनु आदि भावों का विवेचन — Pg. ४२

३. होराशास्त्र के प्रमुख आचार्य : व्यतित्व एवं कृतित्व — Pg. ८२

४. पाराशर के त्रिकोणभाव का वैज्ञानिक विवेचन — Pg. १०९

५. जातक ग्रंथों में त्रिकोण और केंद्र का समीक्षात्मक परिशीलन — Pg. ११८

६. त्रिकोण महव विमर्श — Pg. १३९

७. त्रिकोण और केंद्रभावों का तुलनात्मक विवेचन — Pg. १५६

उपसंहार — Pg. १८६

The Author

Manoj Kumar Chaturvedi

डॉ. मनोज कुमार चतुर्वेदी
जन्म : सहाव, जनपद-जालौन (उ.प्र.)।
शैक्षणिक योग्यता : एम.ए. (मानवचेतना एवं यौगिक विज्ञान), लखनऊ विश्वविद्यालय, पी-एच.डी. (फलित ज्योतिष), डी.लिट्. (संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी)।
कार्यक्षेत्र : पुलिस सेवा (उ.प्र.)।
प्रकाशित कृतियाँ : ‘भागवतपियूष’, ‘निरोगयोगसाधना’, ‘बृहत्पाराशरहोराशास्त्रम्’।
सम्मान : ज्योतिष सम्राट १९९४, ज्योतिष मनीषी १९९५, ज्योतिष गौरव १९९६, ज्योतिष मार्त्तंड १९९७, ज्योतिष श्री १९९८, योगरत्न २०१०, वीरतापदक मुख्यमंत्री उ.प्र., भारत के महामहिम राष्ट्रपति द्वारा वीरता के लिए ‘पुलिस पदक’ से सम्मानित २००७-०८।
संपर्क :  एम.आई.जी.-६१, 
सेक्टर-ई, अलीगंज, लखनऊ-२२६०२४ (उ.प्र.)।
दूरभाष : ९४१५०७३६१२

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