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Raghuvansh Mahakavya   

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Author Mool Chandra Pathak
Features
  • ISBN : 9788188139507
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Mool Chandra Pathak
  • 9788188139507
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2011
  • 356
  • Hard Cover

Description

कालिदासकृत ' रघुवंश महाकाव्य' संस्कृत साहित्य का शिरोमणि माना गया है । इसमें कवि ने दिलीप, रघु और राम जैसे महान् राजाओं एवं उनके कर्तव्यपरायण मानवीय चरित्रों के मा ध्यम से भारत की राजनीतिक अखंडता, सांस्कृतिक अभ्‍युदय, आध्यात्मिक व नैतिक मूल्यों तथा लोकरंजनकारी शासन - पद्धति के युग- युगीन आदर्शों को मूर्तिमान किया है । कालिदास की काव्यकला का प्रौढतम रूप इस काव्य में देखा जा सकता है । उनकी भाव - प्रवणता, रस - स्‍न‌ि‍ग्‍ध काव्य- चेतना, चित्तग्राही कोमल कल्पना, परिष्कृत और प्रांजल पद - योजना, शब्द व अर्थ के पूर्ण संतुलन व सामंजस्य की असाधारण प्रवीणता, घटनाओं के विन्यास की रुचिकर गतिशीलता, प्रकृति के विविध पदाथों व दृश्यों का भावपूर्ण आलेखन, पद- पद पर सरस व अनुरूप उपमाओं का विन्यास—ये स भी काव्य गुण इसमें कूट - कूटकर भरे हैं । प्रकृति व मानव जीवन के आतरिक और बाह्य सौंदर्य को परखने तथा उसे शब्दों में बाँधने की कला में कालिदास सिद्धहस्त हैं । वे सच्चे अर्थों में भारतीय जीवन - मूल्यों के आराधक, एक जीवनानुरागी कवि हैं । उन्होंने भोग और योग, अनुराग और विराग तथा आसक्‍त‌ि और तपस्या के बीच अनुपम सामंजस्य स्थापित करते हुए भारतीय जीवन - दृष्‍ट‌ि को इस काव्य के माध्यम से सशक्‍त अभ‌िव्यक्‍त‌ि दी है, जिससे ' रघुवंश ' भारतीय काव्य- साहित्य की एक अद्वितीय कृति बन गया है ।
प्रस्तुत ग्रंथ में कालिदास की इसी महत्वपूर्ण अमर कृति का पद्यमय काव्यानुवाद प्रस्तुत किया गया है ।

The Author

Mool Chandra Pathak

जन्म : 6 अक्‍तूबर, 1932 को जयपुर (राज.) में।
शिक्षा : एम.ए. (संस्कृत व हिंदी), पी-एच.डी. (संस्कृत)।
कृतित्व : ‘संस्कृत नाटक में अतिप्राकृत तत्त्व’ (शोध ग्रंथ), ‘सिकता का स्वप्न’ (काव्य-संग्रह), ‘राजरत्‍नाकर महाकाव्य’ हस्तलिखित प्रतियों के आधार पर संस्कृत मूलपाठ का संपादन एवं अनुवाद, ‘भगवद‍्गीता-काव्य’ (गीता का काव्यानुवाद), ‘भर्तृहरि का नीति शतक’, ‘भर्तृहरि का श्रृंगार शतक’, ‘भर्तृहरि का वैराग्य शतक’ (मुक्‍तछंदीय काव्यानुवाद), ‘रघुवंश महाकाव्य’ (काव्यानुवाद), ‘पर्यावरणशतकम्’ (संस्कृत काव्य)।
सम्मान-पुरस्कार : मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार तथा राष्‍ट्रीय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली; राजस्थान सरकार तथा राजस्थान संस्कृत अकादमी, जयपुर द्वारा विद्वत्सम्मान।

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