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Prithvi Ki Rochak Baaten   

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Author Sheo Gopal Misra
Features
  • ISBN : 9789383111923
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Sheo Gopal Misra
  • 9789383111923
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2021
  • 146
  • Hard Cover

Description

फारसी लोककथा के अनुसार पृथ्वी की आयु 12,000 वर्ष; बैबीलोन ज्योतिषियों के अनुसार 20 लाख वर्ष; बाइबल के अनुसार 6,000 वर्ष बताई गई है । आर्क बिशप उशर का मत था कि पृथ्वी का जन्म 4004 ई. पू प्रात: 9.00 बजे हुआ! आधुनिक अनुसंधानों से सिद्ध हो चुका है कि हमारे ग्रह पृथ्वी की आयु 40,000 लाख वर्ष है ।
पृथ्वी को प्रारंभिक दिनों में अपनी धुरी पर चक्कर लगाने में केवल 4 घंटे लगते थे; यानि कि उस समय 2 घंटे का दिन तथा 2 घंटे की रात होती थी! धीरे- धीरे पृथ्वी का परिभ्रमण धीमा पड़ता जा रहा है । अब पृथ्वी को अपनी धुरी पर घूमने में 24 घंटे का समय लगता है; लेकिन एक समय ऐसा होगा जब 1 ,200 घंटे का दिन होगा!
तो क्या एक समय ऐसा भी आएगा जब पृथ्वी घूमना बंद कर देगी और पृथ्वी के आधे हिस्से में दिन तथा आधे में सदैव रात ही रहेगी?
परंतु पृथ्वी पर आज भी एक स्थान ऐसा है जहाँ कम-से-कम एक दिन अंधकार (रात) नहीं रहता!
वैज्ञानिकों का मानना है कि एक समय चंद्रमा अपनी कील पर घूमना बंद कर देगा । उस स्थिति में समुद्र में ज्वार उठने बंद हो जाएँगे! यह तो आप जानते हैं कि समुद्र में ज्वार- भाटे आते हैं; पर शायद आपको यह न ज्ञात हो कि पृथ्वी में भी इस प्रकार के ज्वार उत्पन्न होते हैं!
पृथ्वी की ऐसी ही रोचक तथा वैज्ञानिक जानकारी के लिए प्रस्तुत है पुस्तक ' पृथ्वी की रोचक बातें ' ।

The Author

Sheo Gopal Misra

डॉ. शिवगोपाल मिश्र ( जन्म : सन् 1931) विज्ञान-जगत् के ख्याति -प्राप्‍त लेखक हैं । आपने इलाहबाद विश्‍वविद्यालय से एम.एस-सी. ( कृषि रसायन) तथा डी. फिल्. की उपाधियाँ प्राप्‍त करने के बाद इसी विश्‍वविद्यालय में 1956 से 1991 तक क्रमश: लेक्चरर, रीडर, प्रोफेसर और निदेशक पदों पर अध्यापन और शोधकार्य का निर्देशन किया । सूक्ष्म मात्रिक तत्त्व, फास्फेट, पादप रसायन, अम्लीय प्रदूषण, जैव उर्वरक, भारतीय कृषि का विकास, ऊर्जा, जीवनोपयोगी सूक्ष्म मात्रिक तत्त्व नामक पुस्तकों का प्रणयन आपकी महत्वपूर्ण उपलब्धि है । आपकी कई पुस्तकें पुरस्कृत भी हो चुकी हैं । आपने मृदा प्रदूषण, वायु प्रदूषण तथा जल प्रदूषण के विषय में अनेकानेक शोधपरक निबंध प्रकाशित किए हैं । प्रारंभ से ही हिंदी में रुचि होने के कारण 1952 से आप विज्ञान परिषद् प्रयाग से संबद्ध रहे हैं । आपने कई वर्षों तक मासिक पत्रिका ' विज्ञान ' का संपादन किया है । आपने ' भारत की संपदा ' का -संपादन तथा ' रसायन विज्ञान कोश ' का लेखन किया है ।
आपकी हिंदी सेवाओं के लिए 1993 में आपको ' डॉ. आत्माराम पुरस्कार ' से सम्मानित किया गया । विज्ञान परिषद् तथा इंडियन सोसाइटी ऑफ सॉयल साइंस के आप आजीवन सदस्य हैं ।

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