Prabhat Prakashan, one of the leading publishing houses in India eBooks | Careers | Events | Publish With Us | Dealers | Download Catalogues
Helpline: +91-7827007777

Parasmani   

₹300

Out of Stock
  We provide FREE Delivery on orders over ₹1500.00
Delivery Usually delivered in 5-6 days.
Author Shubhangi Bhadbhade
Features
  • ISBN : 9788173153662
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Shubhangi Bhadbhade
  • 9788173153662
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2004
  • 343
  • Hard Cover

Description

रामचरितमानस ' की एक अर्द्धाली है -' पारस परस कुधात सुहाई ', अर्थात् पारस के स्पर्श से लौह जैसी धातुएँ भी सोना हो जाती हैं । राष्‍ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार भी ऐसा ही पारस थे । उनके संपर्क में, सान्निध्य में आनेवाले लोग राष्‍ट्रनिष्‍ठ, सच्चरित्र व्यक्‍त‌ि रूपी सोना बन जाते थे । उनके साहचर्य का सौभाग्य प्राप्‍त करनेवाले लोगों का कहना है कि जब वे उनसे मिलते थे, उनसे बात करते थे तो अंतर में एक अद‍्भुत अनुभूति होती थी । उनकी चिंता का प्रमुख विषय राष्‍ट्र-संघटना होता था । उन्होंने संघ कार्य प्रारंभ किया; अनेक कठिनाइयों आईं । किंतु उनका दृढ़ता से सामना किया, संघटना कार्य में सतत लगे रहे । और आज प्रतिफल सामने है । यह उसी पारस के स्पर्श का परिणाम है कि संघ रूपी पौधा जो उन्होंने रोपा था वह विशाल से विशालतम होता चला गया और आज अक्षय वट सदृश हमारे सम्मुख है और समाजोत्थान में लगा हुआ है । डॉक्टर साहब संघ कार्य हेतु जहाँ भी जाते, लोगों में अपूर्व उल्लास छा जाता । उनके बौद्धिक उनके विचारों को सुनकर लोगों को लगने लगा कि अब सही मार्ग, सही दिशा का निदर्शन होगा । राष्‍ट्र सेवार्थ लोग उनके साथ आते गए संघटना कार्य बढ़ता गया । संघ रूपी वट वृक्ष के बीज डॉ. हेडगेवार की जीवनगाथा है -पारसमणि । हमें विश्‍वस है, पाठकगण डॉक्टर साहब के जीवन पर आधारित इस उपन्यास को पढ़कर लाभान्वित होंगे और उनके जीवन से प्रेरणा ग्रहण करेंगे ।

The Author

Shubhangi Bhadbhade

जन्म : 21 दिसंबर, 1942 को बंबई में।
शिक्षा : एम.ए. (हिंदी), साहित्य रत्‍न।सौ. शुभांगी भडभडे मराठी की अत्यंत लोकप्रिय एवं प्रख्यात साहित्यकार हैं। पौराणिक, ऐतिहासिक और सामाजिक घटना-प्रतिघटनाओं से प्रभावित होकर अपनी खास शैली में लिखनेवालों में उनका नाम आदर के साथ लिया जाता है।
कृतियाँ : ग्यारह चारित्रिक तथा अठारह सामाजिक उपन्यास, पाँच कथा-संग्रह, बारह एकांकी। विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनुवाद कार्य के अतिरिक्‍त तीन नाटक और स्तंभ लेखन; साथ ही किशोर साहित्य। दूरदर्शन व आकाशवाणी पर नाटकों का प्रसारण तथा वार्त्ता आदि।
सम्मान-पुरस्कार : महाराष्‍ट्र साहित्य सभा का ‘कविता पुरस्कार’, विदर्भ साहित्य संघ का ‘एकांकी लेखन पुरस्कार’, साहित्य अकादमी, बड़ौदा का ‘कथा पुरस्कार’, ‘कै. सुमन देशपांडे बाल साहित्य पुरस्कार’, ‘बाल उपन्यास पुरस्कार’, अ.भा. नाट्य परिषद्, मुंबई का ‘एकांकी लेखन पुरस्कार’ तथा ‘सारांश’ कथा-संग्रह पर महाराष्‍ट्र सरकार का ‘उत्कृष्‍ट वाड‍्मय पुरस्कार’।

Customers who bought this also bought

WRITE YOUR OWN REVIEW