Prabhat Prakashan, one of the leading publishing houses in India eBooks | Careers | Events | Publish With Us | Dealers | Download Catalogues
Helpline: +91-7827007777

Mritunjaya Bhagat Singh   

₹300

Out of Stock
  We provide FREE Delivery on orders over ₹1500.00
Delivery Usually delivered in 5-6 days.
Author Rajshekhar Vyas
Features
  • ISBN : 9789383110575
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Rajshekhar Vyas
  • 9789383110575
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2015
  • 200
  • Hard Cover

Description

‘आजादी के मायने यह नहीं होते कि सत्ता गोरे हाथों से काले हाथों में आ जाए, यह तो सत्ता का हस्तांतरण हुआ। असली आजादी तो तब आएगी जब वह आदमी, जो खेतों में अन्न उपजाता है, भूखा नहीं सोए; वह आदमी, जो कपड़े बुनता है, नंगा नहीं रहे; वह आदमी, जो मकान बनाता है, स्वयं बेघर नहीं रहे।’—ऐसे विचारोत्तेजक उद्गार थे अमर शहीद सरदार भगतसिंह के।
उनका मानना था कि क्रांति तो विचारों की सान पर तेज होती है। मनुष्य द्वारा मनुष्य के शोषण के खिलाफ खड़ा वह क्रांतिद्रष्टा, जो फाँसी के फंदे को ही विचार का मंच मानता था—भारत का मार्क्स और लेनिन—अपने समकालीन सभी विचारकों से सोच में आगे था और अन्याय, अत्याचार, शोषण, राजनीति एवं धर्म के पाखंड पर प्रहार करनेवाला महान् क्रांतिकारी विचारक था।
सरदार भगतसिंह के अनछुए पहलू, विचार और चिंतन पर विद्रोही लेखक राजशेखर व्यास की पैनी कलम से नि:सृत है।

—‘मृत्युंजय भगतसिंह’।

‘अगर मैं ईश्वर को मानता तो
भगतसिंह की पूजा करता।
उनकी भविष्यवाणियाँ अब
सत्य सिद्ध हो रही हैं।”

—शिव वर्मा

The Author

Rajshekhar Vyas

चर्चित लेखक, संपादक, विख्यात निर्माता-निदेशक, केवल 12 वर्ष की वय में पितृविहीन हो चले ‘यायावर’। 59 से अधिक क्रांतिकारी ग्रंथ, 4000 से ज्यादा लेख देश-विदेश के सभी अखबारों में प्रकाशित, 200 से ज्यादा वृत्तचित्र, कार्यक्रम, रूपक, फीचर, रिपोर्ताज टी.वी. पर प्रसारित। भारतीय दूरदर्शन में सबसे अल्पायु के आई.बी.एस. अधिकारी ‘उप-महानिदेशक’।
फ्रांस, यूरोप, मलेशिया, सिंगापुर, अमेरिका की यात्रा। फ्रांस सरकार, संस्कृति मंत्रालय एवं विदेश मंत्रालय भारत से सम्मान, फेलोशिप, ए.बी.यू./ए.आइ.बी.डी. सिंगापुर एवं मलेशिया से ‘मेन ऑफ द ईयर’ सम्मान, कैंब्रिज में उप-महानिदेशक, ‘विश्‍व हिंदी सम्मेलन’, न्यूयॉर्क में सम्मान, हिंदी अकादमी, दिल्ली का ‘पत्रकारिता सम्मान’, कालचक्र के आरंभिक सहयोगी, विलक्षण वक्‍ता, कवि-समीक्षक, आलोचक। चर्चित पुस्तकें—‘मैं भगत सिंह बोल रहा हूँ’ (3 खंड), ‘मृत्युंजय भगतसिंह’, ‘इनकलाब’, ‘सुभाष कुछ अधखुले पन्ने’, ‘सरहद पार सुभाष’, ‘यादें’, ‘स्वाभिमान के सूर्य’, ‘विक्रमादित्य’, ‘विश्‍वकवि कालिदास’, ‘माँ, स्वर्णिमभारत’, ‘उग्र के सात रंग’, ‘क्रांतिकारी कहानियाँ’, ‘आँखों देखा अमेरिका’, ‘शोकगीत’, ‘एक जगह उग्र’, ‘अतुल्य भारत’।

Customers who bought this also bought

WRITE YOUR OWN REVIEW