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Main Gandhi Bol Raha Hoon   

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Author Giriraj Sharan
Features
  • ISBN : 9789380823171
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Giriraj Sharan
  • 9789380823171
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2020
  • 144
  • Hard Cover

Description

बीसवीं शती को जिस अनोखे महापुरुष ने सबसे अधिक प्रभावित किया, वह महात्मा गांधी आज धरती पर नहीं हैं, लेकिन सत्य, अहिंसा और सुराज के आजीवन पुजारी का नवजीवन-संदेश आज भारत की सीमाओं से निकलकर सारे संसार को अनुप्राणित कर रहा है। न केवल राजनीतिक, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक पराधीनता की बेड़ियों से भी अपने देश को मुक्त कराने के लिए उन्होंने अपना जीवन बलिदान कर दिया।
हिंसा को अहिंसा से और अन्याय को शांतिमय सत्याग्रह से हराने का अनोखा तरीका अपनाकर उन्होंने अत्याचारी अंग्रेज शासन की नींव हिला दी। समाज-सुधारक और विचारक के रूप में भी उनका योगदान अनुपम है। भारतीय समाज के संपूर्ण विकास के लिए उन्होंने व्यक्तिगत उत्थान, विशेष रूप से आत्मिक उत्थान पर बल दिया। जातिवाद, छुआछूत, परदा-प्रथा, बहु-विवाह, विधवाओं की दुर्दशा, नशाखोरी और सांप्रदायिक भेदभाव जैसी अनेक सामाजिक बुराइयों के सुधार हेतु रचनात्मक संघर्ष किया और राष्ट्रीय एकता के लिए हिंदी को ‘राष्ट्रभाषा’ घोषित किया।
यद्यपि स्वतंत्रता और लोकतंत्र के इतने वर्षों में हम बहुतेरे सामाजिक-राजनैतिक झंझावात झेल चुके हैं, पुरानी परिभाषाएँ और मुहावरे बहुत कुछ बदल चुके हैं, किंतु गांधी-दर्शन आज भी भारतीय समाजोन्नति और विश्वशांति का शुभ संदेश दे रहा है।
यह पुस्तक उसी संदेश को प्रसारित करने का एक विनम्र प्रयास है। महात्मा गांधी के प्रेरक चिंतनशील विचारों का अनुपम संकलन।

The Author

Giriraj Sharan

जन्म : सन् 1944, संभल ( उप्र.) ।
डॉ. अग्रवाल की पहली पुस्तक सन् 1964 में प्रकाशित हुई । तब से अनवरत साहित्य- साधना में रत आपके द्वारा लिखित एवं संपादित एक सौ से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । आपने साहित्य की लगभग प्रत्येक विधा में लेखन-कार्य किया है । हिंदी गजल में आपकी सूक्ष्म और धारदार सोच को गंभीरता के साथ स्वीकार किया गया है । कहानी, एकांकी, व्यंग्य, ललित निबंध, कोश और बाल साहित्य के लेखन में संलग्न डॉ. अग्रवाल वर्तमान में वर्धमान स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बिजनौर में हिंदी विभाग में रीडर एवं अध्यक्ष हैं । हिंदी शोध तथा संदर्भ साहित्य की दृष्‍ट‌ि से प्रकाशित उनके विशिष्‍ट ग्रंथों-' शोध संदर्भ ' ' सूर साहित्य संदर्भ ', ' हिंदी साहित्यकार संदर्भ कोश '-को गौरवपूर्ण स्थान प्राप्‍त हुआ है ।
पुरस्कार-सम्मान : उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ द्वारा व्यंग्य कृति ' बाबू झोलानाथ ' (1998) तथा ' राजनीति में गिरगिटवाद ' (2002) पुरस्कृत, राष्‍ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली द्वारा ' मानवाधिकार : दशा और दिशा ' ( 1999) पर प्रथम पुरस्कार, ' आओ अतीत में चलें ' पर उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ का ' सूर पुरस्कार ' एवं डॉ. रतनलाल शर्मा स्मृति ट्रस्ट द्वारा प्रथम पुरस्कार । अखिल भारतीय टेपा सम्मेलन, उज्जैन द्वारा सहस्राब्दी सम्मान ( 2000); अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानोपाधियाँ प्रदत्त ।

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