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Khushhaal Jeevan Ki Kahaniyan   

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Author J.P. Vaswani
Features
  • ISBN : 9789351867548
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
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More Information

  • J.P. Vaswani
  • 9789351867548
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2018
  • 232
  • Hard Cover

Description

हमारे प्राचीन ग्रंथों की कहानियाँ और महान् विभूतियाँ के जीवन में ऐसे मूल्य और सिद्धांत प्रकट होते हैं, जो हमारी भलाई और नैतिक विकास के लिए परम आवश्यक हैं। ये हमें अनोखे अनुभवों के साथ यादगार चरित्र प्रस्तुत करते हैं। फिर इन कहानियों का प्रभाव हमारे भौतिकसांसारिकआध्यात्मिक जीवन पर पड़ता है और हमारा मार्ग इनसे प्रशस्त होता है।
कहानियाँ हमें उन कालों में ले जाती हैं, जब अवतारी पुरुष और मनुष्य के रूप में ईश्वर इस धरती पर विचरण करते थे और हमारे बीच हम में से ही किसी एक की तरह जीते थे। इसीलिए उनके अनुकरणीय जीवन का अपना आधार बनाकर हम भी मानव योनि को सार्थक कर सकते हैं।
यकीनन ये कहानियाँ हम सभी के सर्वोत्तम गुणों का विकास करेंगी; जैसे— ईश्वर के प्रति आभार, हमारे साथियों के प्रति सहृदयता, औरों के प्रति क्षमा, दूसरों के साथ समझ और सहानुभूति तथा इस मानव जन्म के लक्ष्य को खोजना और उसे हासिल करना।
दादा जे.पी. वासवानी भारत के सर्वाधिक सम्मानित आध्यात्मिक विभूतियों में से एक हैं। वे प्रसिद्ध साधु वासवानी मिशन के प्रमुख संचालक हैं, जो कि एक अंतरराष्ट्रीय, लाभनिरपेक्ष, समाज कल्याण और सेवा से जुड़ा संगठन है। इसका मुख्यालय पुणे में है और दुनिया भर में इसके कई सक्रिय केंद्र हैं। 

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अनुक्रम

भूमिका : गुरुदेव श्री श्री रविशंकरजी — 9

लेखक की प्रस्तावना — 11

हिंदू धर्म

संक्षिप्त परिचय — 17

श्रेय का मार्ग — 19

विजय उसकी है — 26

युधिष्ठिर का स्वर्गारोहण — 29

जड़भरत की कहानी — 38

गुरुभति की सर्वोच्च शति  — 44

बौद्ध धर्म

संक्षिप्त परिचय — 53

संघम् शरणम् गच्छामि: बुद्ध और उनका भिक्षु समुदाय — 55

रानी मल्लिका की कहानी — 62

उसने प्रेम से जीता : बुद्ध के प्रारंभिक शिष्य — 69

उपाली : विनय का कुलपति — 78

क्रोध से क्रोध पैदा होता है — 83

जैन धर्म

संक्षिप्त परिचय — 89

स्वामी नेमीनाथ — 91

भगवान् महावीर की अग्नि परीक्षा — 96

गौतम को निर्वाण मिला — 101

चंदन — 107

ऐमु मुनि — 114

सिख धर्म

संक्षिप्त परिचय — 123

गुरुनानक के बाल्यकाल से किशोर होने के वर्ष — 127

गुरुनानक ने अपना उाराधिकारी नामांकित किया — 132

बाबा बुड्ढा — 137

गुरु तेग बहादुर की शहादत — 140

खालसा पंथ का जन्म : इतिहास और कथा — 146

सूफी धर्म

संक्षिप्त परिचय — 155

संसार को बदलिए — 159

राबिया और हसन — 161

प्रियतम के चेहरे को निहारना — 164

बयाजिद अल-बिस्तामी से दीनता का पाठ — 169

अल्लाह यहीं है! — 172

बहाई धर्म

संक्षिप्त परिचय — 177

कठपुतली का खेल — 181

बहाउल्लाह और ग्रामीण बालक — 184

कुरत-उल-एन ‘ताहिरीह’ : एक औरत अपने समय से आगे — 186

अदुल-बहा : अपने पिता का पुत्र — 193

बहाई स्वामियों के जीवन के लघुचित्र — 198

यहूदी धर्म

संक्षिप्त परिचय — 205

बेबल की मीनार — 207

मूसा का जीवन — 211

अल्पसंयक दृष्टिकोण — 219

अच्छे लोग कष्ट यों भोगते हैं? — 223

अपने सोने और चाँदी की गणना करो : कहानी के अंदर एक कहानी — 227

The Author

J.P. Vaswani

दादा जे.पी. वासवानी भारत के सर्वाधिक सम्मानित आध्यात्मिक विभूतियों में से एक हैं। वे प्रसिद्ध साधु वासवानी मिशन के प्रमुख संचालक हैं, जो कि एक अंतरराष्ट्रीय, लाभ-निरपेक्ष, समाज कल्याण और सेवा से जुड़ा संगठन है। इसका मुख्यालय पुणे में है और दुनिया भर में इसके कई सक्रिय केंद्र हैं। 
2 अगस्त, 1918 को हैदराबाद-सिंध में जन्मे दादा एक बहुत होनहार छात्र थे, जिन्होंने सुनहरा शैक्षणिक कॅरियर छोड़कर आज के बेहद सम्मानित संत, अपने चाचा और गुरु साधु वासवानी के प्रति अपना जीवन समर्पित कर दिया। 
शाकाहार के प्रबल समर्थक दादा ने गुरुदेव साधु वासवानी के रास्ते पर चलते हुए, सभी जीवों के प्रति सम्मान के संदेश को फैलाना ही अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया। उनके प्रेरक नेतृत्व में साधु वासवानी मिशन ने आध्यात्मिक प्रगति, शिक्षा, चिकित्सा, महिला सशक्तीकरण, ग्रामोत्थान, राहत और बचाव, पशु कल्याण, ग्रामीण विकास तथा समाज के वंचित वर्गों की सेवा के विभिन्न सेवा-कार्यक्रमों के लिए निरंतर गंभीर और प्रबल काम किए हैं। दादा अपने गुरु के इन शब्दों पर दृढ विश्वास करते हैं—‘निर्धनों की सेवा ही ईश्वर सेवा है।’
विनोदप्रिय वक्ता और प्रेरक लेखक दादा ने सौ से ज्यादा पुस्तक-पुस्तिकाएँ लिखी हैं और 98 वर्ष की उम्र में भी उनकी ऊर्जा और उत्साह किसी युवा से कम नहीं हैं। आध्यात्मिक गुरु, शिक्षाविद् और दार्शनिक दादा जे.पी. वासवानी भारत के ज्ञान और वैश्विक भावना के सच्चे और आदर्श प्रतिरूप हैं।ष्

 

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