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Kashi Kabhi Na Chhodiye   

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Author Shyamla Kant Verma
Features
  • ISBN : 8188267562
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Shyamla Kant Verma
  • 8188267562
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2010
  • 164
  • Hard Cover

Description

अब न तो नौटंकियों के प्रति उत्साह रह गया है, न कठपुतली नाटकों के प्रति। मनोरंजन के नए साधनों ने लोकगीत और लोक-नृत्य की समृद्ध परंपरा को आहत किया है। स्वतंत्रता पूर्व के कई प्रचलित सिक्कों से वर्तमान पीढ़ी अपरिचित हो चुकी है। नए खेलों ने पुराने खेलों का स्थान ले लिया है। धर्म और संस्कृति के प्रति भी लोग उदासीन दिखाई पड़ते हैं। न धर्मस्थलों को जानने-पहचानने में रुचि है, न कुंडों और कूपों को—और तो और, धार्मिक एवं सांस्कृतिक नगरी काशी की जनता भी काशी के इन महत्त्वपूर्ण स्थानों से अपरिचित होती जा रही है। देश की विभिन्न समस्याओं को उजागर करने तथा काशी की महिमा का बोध कराने के उद‍्देश्य से लिखा गया उपन्यास ‘काशी कभी न छोड़िए’ एक महत्त्वपूर्ण कृति है।
ससाहित्यकार डॉ. श्यामला कांत वर्मा ने व्यक्‍तिपरक इस सामाजिक उपन्यास में काशी के गौरव को चिह्नित करने में सफलता अर्जित की है। निश्‍चय ही वाराणसी अपने आपमें एक लघु हिंदुस्तान है। काशी की गंगा-जमुनी संस्कृति अनुकरणीय है। निश्‍चय ही इसे पढ़कर पाठकगण काशी के वर्तमान सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिदृश्य की रोचक व ज्ञानपरक जानकारी प्राप्‍त कर पाएँगे।

The Author

Shyamla Kant Verma

जन्म : 9 जुलाई,1930 को वाराणसी स्थित कबीरचौरा में।शिक्षा विभाग के प्रशासनिक पदों पर कार्यरत रहे। सन्1948 से ही साहित्य-सृजन में संलग्न।कृतित्व : ‘काशी कभी न छोडि़ए’ (उपन्यास); ‘मेघदूत : पद्यबद्ध भावानुवाद’, ‘सागर-मंथन’, ‘मेरी कविता, मेरे गीत’, ‘काश!’ (कविता); ‘आधुनिक समीक्षा’, ‘साहित्य और सिद्धांत’, ‘कवि समीक्षा’, ‘लेखक समीक्षा’, ‘अभिनव रस-अलंकार-पिंगल’, ‘रीतिकालीन काव्य में नारी सौंदर्य’ (समीक्षा); ‘अभिनव निबंधावली’, ‘संघर्ष’, ‘सृजन के क्षण’, ‘व्यावहारिक हिंदी व्याकरण’ (निबंध); ‘मुहावरा एवं लोकोक्‍ति कोश’, ‘सचित्र हिंदी बाल शब्दकोश’, ‘घाघ और भड्डरी की कुछ कहावतें’ (संपादित)। ‘आती-पाती’, ‘हाथी-घोड़ा-पालकी’, ‘अक्कड़-बक्कड़’, ‘गाओ गीत : बजाओ ढोल’, ‘चंदा से कुट्टी’, ‘रंग-रंग के पक्षी आए’, (बाल कविताएँ); ‘क्रांतिवीर सुभाष’ (चरित्र काव्य); ‘कहावतों पर कहानियाँ’, ‘सोने की कुलहाड़ी’, ‘कहानी और कहानी’, ‘जाके पाँव न फटी बिवाई’, ‘बेताल की अँगूठी’ (कहानी); ‘एकांकी-सप्‍तक’, ‘स्वतंत्रता की वेदी पर’ (एकांकी); ‘हमारे आलोक स्तंभ’ (जीवनी) के साथ-साथ अनेक नाटक, नवसाक्षर साहित्य तथा जीवनियाँ लिखीं।सम्मान : हिंदी समिति, उ.प्र. का पुरस्कार; उ.प्र. हिंदी संस्थान का ‘बाल साहित्य भारती सम्मान’।

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