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Jharkhand : Rajneeti Aur Halaat   

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Author Anuj Kumar Sinha
Features
  • ISBN : 9789386231345
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
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More Information

  • Anuj Kumar Sinha
  • 9789386231345
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2019
  • 328
  • Hard Cover

Description

यह पुस्तक प्रसिद्ध पत्रकार श्री अनुज सिन्हा की झारखंड की राजनीति, झारखंड के हालात व यहाँ की समस्या, व्यवस्था तथा कार्य-संस्कृति से जुड़ी टिप्पणियों का संकलन है।
इनमें से अधिकांश राजनीतिक घटनाओं से जुड़ी हुई हैं। सरकार चाहे जिस किसी की हो, अगर वहाँ किसी प्रकार की गड़बड़ी दिखी, सरकार द्वारा ऐसे निर्णय लिये गए, जो जनहित में नहीं थे, विधायकों ने विधानसभा की गरिमा को ठेस पहुँचाई, सदन को बेवजह बाधित किया, अपना वेतन-सुविधा बढ़ाने में लगे रहे, सरकार में तबादले का खेल चला, सरकार बनाने-गिराने में कहीं खेल दिखा, कानून-व्यवस्था की स्थिति गड़बड़ाई, किसी आयोग में ऐसे लोगों को शामिल करने का प्रयास किया गया जो गलत था, हर बार बेखौफ टिप्पणी लिखने का प्रयास किया। मकसद था—व्यवस्था को बेहतर बनाना। राज्य का अहित करनेवालों पर अंकुश लगाना। ऐसे अनेक मौके आए, जब लगा कि सरकार का यह निर्णय जनता के खिलाफ है। उन मुद्दों को तीखे, लेकिन तार्किक तरीके से उठाया। इसमें कोई भेदभाव नहीं बरता। सरकार जिस किसी दल की हो, अपनी बात रखी। यह संकलन इसलिए आवश्यक है कि लोग जान सकें कि झारखंड किन हालातों से गुजरा है। यहाँ के राजनीतिज्ञों की किस तरह की भूमिका रही है। 
सारी सामर्थ्य-साधन-शक्ति होने के बावजूद झारखंड विकास की दौड़ में पीछे न रहे, विकसित हो और प्रदेश की समस्याओं का अंत हो, यह पुस्तक उस आत्मालोचन का एक उपक्रम मात्र है।___________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________

अनुक्रम  
अपनी बात — Pgs. 5 13. हालात यह है — Pgs. 174
राज्य, राजनीति और कामकाज 14. अमन-चैन विरोधियों पर काररवाई का वक्त — Pgs. 176
1. एक सपना, जो आज पूरा होगा — Pgs. 21 15. ऐसे तो भरोसा टूटेगा — Pgs. 179
2. खुशी के क्षण — Pgs. 23 16. यह अकर्मण्यता है — Pgs. 181
3. भय और उत्साह के बीच फँसी रही राजधानी राँची — Pgs. 25 पैनी नजर
4. मंत्रियों को मनाने में जुटी रही सरकार, ठगी गई झारखंडी जनता — Pgs. 27 1. बिकने की पुष्टि — Pgs. 185
5. झारखंड तो मिला, अब सिंहभूमवासियों को अलग विश्वविद्यालय चाहिए — Pgs. 32 2. सबके चेहरे सामने — Pgs. 187
6. गुरुजी, शहीदों-आंदोलनकारियों को मत भूलिएगा — Pgs. 34 3. सफाई का मौका — Pgs. 189
7. मधु कोड़ाजी, अब आप मुख्यमंत्री हैं, इतिहास गढि़ए — Pgs. 36 4. बाहरी प्रत्याशी क्यों? — Pgs. 191
8. निर्मल दा-देवेंद्र मांझी के सपने को साकार कीजिए — Pgs. 41 5. भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम — Pgs. 193
9. कोड़ा सरकार का एक साल — Pgs. 44 6. बिकिए मत — Pgs. 195
10. बाबूलाल मरांडी को दबाना यूपीए-एनडीए के वश में नहीं — Pgs. 47 7. निगाह रखें — Pgs. 197
11. दबाव में लिया गया एक अलोकतांत्रिक कदम — Pgs. 49 8. आप आगे आएँ, धरना-प्रदर्शन करें — Pgs. 199
12. सरकार बच गई, तो झामुमो पर होगा भारी दबाव — Pgs. 51 9. विधायकजी, दिखाकर दीजिए वोट, कोई शक नहीं करे — Pgs. 201
13. हर बार गुरुजी के साथ अन्याय हुआ है — Pgs. 53 10. अगर कानून का राज चले, तभी होगी सफाई — Pgs. 204
14. अपनों ने चक्रव्यूह में फँसाया गुरुजी को — Pgs. 56 11. सीबीआई जाँच भी हो ही जाए — Pgs. 206
15. कमजोर क्यों हो गए गुरुजी? — Pgs. 59 12. दलों का चरित्र — Pgs. 208
16. झारखंड को सरकार चाहिए! — Pgs. 61 13. आसान नहीं थी चुनौती — Pgs. 211
17. चाहिए सक्षम सीएम व सरकार — Pgs. 63 हस्तक्षेप
18. राष्ट्रपति शासन की ओर झारखंड? — Pgs. 65 1. मुख्यमंत्रीजी, रोड जाम कर उद्घाटन क्या उचित है? — Pgs. 215
19. गलत संकेत — Pgs. 67 2. गुरुजी, बारगेन करना है, तो झारखंड के लिए करिए — Pgs. 218
20. चुनौतियाँ हैं, तो अवसर भी — Pgs. 69 3. मुख्यमंत्रीजी! आप ही तलाशें विकल्प — Pgs. 220
21. जनता का भी खयाल कीजिए — Pgs. 71 4. राज्यपाल हस्तक्षेप करें — Pgs. 222
22. उपचुनाव के संकेत — Pgs. 73 5. महामहिम, यही है हकीकत — Pgs. 225
23. नेता क्यों तय करें कुलपति — Pgs. 76 6. इसे कहते हैं असली निरीक्षण — Pgs. 227
24. फिर भी इन्हें इज्जत चाहिए! — Pgs. 79 7. प्रधानमंत्री से — Pgs. 230
25. सरकार चुप क्यों है? — Pgs. 82 8. यही कार्य संस्कृति चाहिए — Pgs. 233
26. इस धुंध को साफ कीजिए — Pgs. 86 9. आम जनता को आहत करनेवाले फैसले न लें — Pgs. 236
27. यह सरकार है या सरकस! — Pgs. 89 संवेदना
28. विलंब का खेल — Pgs. 91 1. शर्मनाक है असम की घटना — Pgs. 241
29. युवा कंधे पर बड़ी जिम्मेदारी — Pgs. 94 2. तो क्या बाहर जाना छोड़ दें? — Pgs. 243
30. स्पीकर की दूरदृष्टि — Pgs. 97 3. मर रहा है समाज? — Pgs. 245
31. मंत्रियों को मलाई चाहिए — Pgs. 99 4. यह वहशीपन है — Pgs. 248
32. ं ं ंतो गरिमा और बढ़ गई होती! — Pgs. 101 5. जिस दिन जनता जाग जाएगी, हिसाब माँगेगी — Pgs. 251
33. शह और मात का खेल — Pgs. 104 6. क्या यह महिला सच में दोषी है? — Pgs. 254
34. झारखंड की राजनीतिक उठा-पटक की कीमत खो गई जवानों की शहादत — Pgs. 107 7. शिक्षक माफ करें — Pgs. 256
35. इसे ठीक कौन करेगा? — Pgs. 110 8. तनाव में स्कूली बच्चे : बदल रहा है स्वभाव — Pgs. 258
36. नववर्ष में झारखंड की राजनीति — Pgs. 112 9. एक नायक का सम्मान — Pgs. 261
37. यह राजनीति नहीं, मजाक है — Pgs. 114 10. पौधे लगाएँ, जीवन बचाएँ — Pgs. 264
38. कांग्रेसी ही कांग्रेस को खत्म कर रहे हैं! — Pgs. 117 11. जिंदगी सबसे कीमती है, इसे बचाकर रखें — Pgs. 266
39. कुलपति के चयन में बाहरी-भीतरी न करें — Pgs. 121 मान-सम्मान
40. बोलने का नहीं, करने का वक्त — Pgs. 123 1. नेशनल गेम्स का टलना झारखंड के लिए शर्मनाक — Pgs. 271
41. सवाल नैतिकता का है — Pgs. 125 2. झारखंड की प्रतिष्ठा का सवाल — Pgs. 274
42. झारखंड सरकार के लिए भी आत्ममंथन का वक्त — Pgs. 127 3. सफल बनाना आपका भी दायित्व — Pgs. 276
43. शिक्षण-संस्थानों को बरबाद न करें राजनेता — Pgs. 129 4. खेल के मर्म को समझें — Pgs. 278
44. निशाने पर अफसर — Pgs. 131 5. अद्भुत और आभार — Pgs. 280
45. उम्मीदें-चुनौतियाँ — Pgs. 133 6. सिर ऊँचा करने का क्षण — Pgs. 284
46. शुतुरमुर्ग है कांग्रेस — Pgs. 136 7. राज्यपाल महोदय खुद पहल कीजिए! — Pgs. 286
47. संतोषजनक बजट — Pgs. 138 आक्रोश
48. कुछ ठोस करने का वक्त — Pgs. 140 1. खदेड़कर, पाक-बांग्लादेश में घुसकर मारिए — Pgs. 291
कानून-व्यवस्था 2. अब खुद तय करे भारत — Pgs. 293
1. जमशेदपुर को जलने से बचाइए, आग में घी मत डालिए — Pgs. 145 3. निकम्मा है नगर निगम? — Pgs. 295
2. इस बवाल का दोषी कौन, छात्र संगठन भी जवाब दें! — Pgs. 147 4. बिजली दो, नहीं तो जेल जाओ — Pgs. 297
3. कानून का राज या जंगलराज? — Pgs. 149 5. चुप बैठने का समय नहीं — Pgs. 300
4. निकम्मी है जमशेदपुर पुलिस — Pgs. 152  पहल
5. यह कैसी क्रांति है? — Pgs. 154 1. अपने शहर के बारे में सोचिए — Pgs. 305
6. बंद-हड़ताल तो ब्रह्मास्त्र है — Pgs. 156 2. सोचिए, करिए, कुछ बोलिए — Pgs. 308
7. जिम्मेदार कौन? — Pgs. 158 3. क्यों नहीं बढ़ सकती विधानसभा की सीट? — Pgs. 312
8. कानून अब नाकाफी है — Pgs. 160 4. राष्ट्रधर्म निभाएँ — Pgs. 315
9. यह कैसी कानून-व्यवस्था? — Pgs. 162 5. राज्य के लिए भी सोचिए! — Pgs. 317
10. बद नहीं, बदतर — Pgs. 165 6. प्रयास का फल — Pgs. 320
11. बंद : सरकार और प्रशासन की भूमिका — Pgs. 168 7. एम्स को मत जाने दीजिए — Pgs. 322
12. कहाँ है सरकार? — Pgs. 171 8. अस्पताल के लिए जमीन दे सरकार या लोग सामने आएँ जमीन दान करें — Pgs. 325

The Author

Anuj Kumar Sinha

झारखंड के चाईबासा में जन्म। लगभग 35 वर्ष से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय। आरंभिक शिक्षा हजारीबाग के हिंदू हाई स्कूल से। संत कोलंबा कॉलेज, हजारीबाग से गणित (ऑनर्स) में स्नातक। राँची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई की। जेवियर समाज सेवा संस्थान (एक्स.आइ.एस.एस.) राँची से ग्रामीण विकास में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा किया। 1987 में राँची प्रभात खबर में उप-संपादक के रूप में योगदान। 1995 में जमशेदपुर से प्रभात खबर के प्रकाशन आरंभ होने पर पहले स्थानीय संपादक बने। 15 साल तक लगातार जमशेदपुर में प्रभात खबर में स्थानीय संपादक रहने का अनुभव। 2010 में वरिष्ठ संपादक (झारखंड) के पद पर राँची में योगदान। वर्तमान में प्रभात खबर में कार्यकारी संपादक के पद पर कार्यरत। स्कूल के दिनों से ही देश की विभिन्न विज्ञान पत्रिकाओं में लेखों का प्रकाशन। झारखंड आंदोलन या फिर झारखंड क्षेत्र से जुड़े मुद्दे और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन लेखन के प्रमुख विषय। कई पुस्तकें प्रकाशित। प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित पुस्तकें—‘प्रभात खबर : प्रयोग की कहानी’, ‘झारखंड आंदोलन का दस्तावेज : शोषण, संघर्ष और शहादत’, ‘बरगद बाबा का दर्द’, ‘अनसंग हीरोज ऑफ झारखंड’, ‘झारखंड : राजनीति और हालात’, ‘महात्मा गांधी की झारखंड यात्रा’ एवं ‘झारखंड के आदिवासी : पहचान का संकट’।
पुरस्कार : शंकर नियोगी पुरस्कार, झारखंड रत्न, सारस्वत हीरक सम्मान, हौसाआइ बंडू आठवले पुरस्कार आदि।

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