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Jharkhand Andolan Ka Dastavej: Shoshan, Sangharsh   

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Author Anuj Kumar Sinha
Features
  • ISBN : 9789350482520
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
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More Information

  • Anuj Kumar Sinha
  • 9789350482520
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2016
  • 384
  • Hard Cover

Description

झारखंड अलग राज्य सभी का एक सपना था। एक खाका तैयार था कि कैसा होगा अपना झारखंड।
लेकिन यह कैसे अस्तित्व में आया इसके लिए किस-किसने जान दी। कितने लोग, कहाँ-कहाँ मारे गए, कहाँ-कहाँ जुल्म झेले गए। इस पुस्तक को लिखने का मकसद था कि आनेवाली पीढ़ी झारखंड के लिए कुरबानी देनेवालों को जान सके, याद कर सके।
इस पुस्तक को मूलत: छह खंडों में बाँटा गया है। पहले खंड में पुलिस फायरिंग या पुलिस द्वारा मारे गए आंदोलनकारियों का जिक्र है। दूसरे खंड में उन घटनाओं को शामिल किया गया है, जहाँ आंदोलनकारी पुलिस की गोली से नहीं मरे, बल्कि महाजनों-माफिया या दबंगों ने उनकी हत्या कर दी। तीसरे खंड में उन गैर-आदिवासी आंदोलनकारियों को शामिल किया गया है, जिनकी झारखंड आंदोलन में बहुत बड़ी भूमिका रही है, जिन्होंने आंदोलन को दिशा दी। चौथा खंड महिलाओं को समर्पित है। इसमें झारखंड आंदोलन में महिलाओं की भूमिका की चर्चा है।
पुस्तक के पाँचवें खंड में कुछ उन आंदोलनकारियों को भी शामिल किया गया है जिनकी मौत पुलिस या माफिया की गोली से नहीं हुई, बल्कि जिन्होंने इलाज के अभाव में दम तोड़ा, जिनकी स्वाभाविक या दुर्घटना में मौत हो गई, पर उनका आंदोलन में काफी योगदान था। इसमें उन आंदोलनकारियों को भी शामिल किया गया है, जिन्होंने आंदोलन में बहुत कुछ खोया है। कुछ वैसे आंदोलनकारियों को भी श़ामिल किया गया है, जो अभी जीवित हैं, पर जिन्होंने आंदोलन में हर प्रकार की भूमिका अदा की।

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अनुक्रम  
भूमिका — Pgs. 7 56. लालमोहन बेदिया : एक संघर्षशील नेता का अंत — Pgs. 239
अपनी बात — Pgs. 11 57. जयवीर महतो : आधी आय दान करते थे — Pgs. 240
बहुत पुराना है संघर्ष का इतिहास  — Pgs. 27 58. श्यामलाल मुर्मू : पोखरिया आश्रम के रखवाले की हत्या — Pgs. 242
खंड-1 59. गोइलकेरा : देवेंद्र माझी की शहादत — Pgs. 244
पुलिस फायरिंग 60. मनींद्र नाथ मंडल : माफिया ने करवा दी हत्या — Pgs. 251
1. सिमको गोलीकांड : 40 आदिवासियों की हत्या — Pgs. 47 61. राजेश आनंद महतो : जमीन माफिया के विरोधी थे — Pgs. 253
2. खरसावाँ गोलीकांड : एक और जालियाँवाला बाग कांड — Pgs. 51 62. रतिलाल महतो : समझौता नहीं करने की सजा — Pgs. 255
3. मिहिजाम गोलीकांड : विस्थापितों पर गोली — Pgs. 61 खंड-3
4. गुंडुरिया गोलीकांड : गोली से कुचला आंदोलन को — Pgs. 63 गैर-आदिवासियों की भूमिका
5. चीरी गोलीकांड : जमीन पर कब्जा माँगा तो मिली गोली — Pgs. 66 63. बाबू रामनारायण सिंह : संसद में कहा, हर हाल में झारखंड चाहिए — Pgs. 261
6. परमेश्वर माझी : जान देकर पत्नी की इज्जत बचाई — Pgs. 69 64. रामदेव सिंह : गाड़ी से खींचकर मार डाला — Pgs. 264
7. पलमा फायरिंग : गुरुजी के अड्डे को बनाया निशाना — Pgs. 71 65. सदानंद झा : विरोधियों ने कर दी थी हत्या — Pgs. 266
8. करगली गोलीकांड : मजदूरों पर गोलियों की बारिश  — Pgs. 73 66. अभय चरण तिवारी : धोखे से की गई हत्या — Pgs. 269
9. सिजुआ गोलीकांड : विरोध करने की सजा मौत — Pgs. 77 67. बसंत पाठक : दिलेर आंदोलनकारी की शहादत — Pgs. 271
10. कुड़को गोलीकांड : महाजन के खिलाफ जंग — Pgs. 79 68. यदुनंदन वर्णवाल : माफिया ने बनाया निशाना — Pgs. 273
11. विष्णुगढ़ गोलीकांड : टेकलाल के समर्थकों को किया शहीद — Pgs. 81 69. कलीमुद्दीन अंसारी : चोरों को समझाने की सजा — Pgs. 274
12. जायदा गोलीकांड : अनशनकारी विस्थापितों पर फायरिंग — Pgs. 83 70. दुर्गा तिवारी : उम्रकैद की सजा काटी — Pgs. 276
13. जयतारा गोलीकांड : लड़ते हुए हो गए शहीद — Pgs. 88 71. गुरुदास चटर्जी : माफिया के शिकार बने — Pgs. 279
14. ईचाहातू फायरिंग : जंगल आंदोलन की पहली शहादत — Pgs. 90 72. महेंद्र प्रताप सिंह : महाजनों ने लिया बदला — Pgs. 280
15. सेरेंगदा गोलीकांड : बच गए थे शैलेंद्र महतो — Pgs. 94 73. गुरुवचन सिंह : मजदूरों के हितैषी — Pgs. 281
16. गुवा गोलीकांड : अस्पताल से निकाल कर भूना — Pgs. 100 74. केदार पांडेय : कांग्रेस नेता से मतभेद भारी पड़ा — Pgs. 282
17. गुजीसिमल गोलीकांड : डरकर पुलिस ने कर दी फायरिंग — Pgs. 111 खंड-4 
18. बाइपी गोलीकांड : मूड किया, दाग दी गोली — Pgs. 113 महिलाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका
19. कुइड़ा गोलीकांड : स्वतंत्र कोल्हान राष्ट्र की साजिश — Pgs. 116 75. जमशेदपुर की सबिता भुइयाँ : दुलाल को बचाने में हो गई शहीद  — Pgs. 289
20. कुंबिया गोलीकांड : जुल्म का विरोध किया तो फायरिंग की — Pgs. 122 76. चैनपुर फायरिंग : मारी गईं दो छात्राएँ — Pgs. 292
21. जोजोगुट्टु गोलीकांड : पुलिस के लिए चुनौती एक गाँव  — Pgs. 123 77. राहिल-अजरमनी : सेरेंगदा में बचाई शैलेंद्र की जान — Pgs. 295
22. सरजोमहातू गोलीकांड : गोली मारकर भाग गई पुलिस — Pgs. 125 78. नंदी कुई : जब तीर से बीएमपी को रोका — Pgs. 297
23. गंगाराम कालुंडिया हत्याकांड : एक फौजी की शहादत — Pgs. 127 79. मरियम चेरोवा : महिलाओं को देती थी ट्रेनिंग — Pgs. 299
24. माँडर गोलीकांड : मारा गया स्कूली छात्र — Pgs. 135 80. लाड़ो जोंको : सिंहभूम की आयरन लेडी — Pgs. 301
25. तिरूलडीह गोलीकांड : अजीत महतो-धनंजय महतो शहीद — Pgs. 137 81. सिस्टर मेरी ज्योत्सना : आंदोलन को दी आवाज — Pgs. 303
26. मुरहू गोलीकांड : पुलिस जुल्म के विरोध की सजा  — Pgs. 143 82. ज्योत्सना तिर्की : एमबीबीएस नहीं, आंदोलन — Pgs. 305
27. बीदरनाग की हत्या : जीप से घसीटकर मार डाला पूर्व सैनिक को — Pgs. 147 83. मालती किचिंग्या : छात्राओं पर पकड़ — Pgs. 307
28. भरभरिया गोलीकांड : अपराधी मारो अभियान का प्रतिफल — Pgs. 152 84. शुकंतला टुडू : थप्पड़ का जवाब थप्पड़ से — Pgs. 309
29. बिल्ला गोलीकांड : बुजुर्ग की छाती में गोली मारी — Pgs. 158 85. उर्मिला देवी : हर आंदोलन में सक्रिय — Pgs. 311
30. बाँझी गोलीकांड : फादर एंथोनी समेत 15 संतालों की हत्या — Pgs. 162 86. रोज केरकट्टा : महिलाओं को सशक्त किया — Pgs. 312
31. साबुआ हत्याकांड : जंगल बचाने में चली गई जान — Pgs. 171 87. मालंच घोष : जन आंदोलन को दी ऊर्जा — Pgs. 313
32. रसिक हाँसदा : घेराव के दौरान हत्या — Pgs. 174 खंड-5 
33. बागबेड़ा गोलीकांड : थाना घेरा तो मार दी गोली — Pgs. 176 जज्बा-जोखिम और नतीजा
34. सुवर्णरेखा कांड : मार डालने का नया तरीका — Pgs. 179 88. आजसू की भूमिका — Pgs. 317
35. विभूति महतो : राशन माफिया के विरोध का नतीजा — Pgs. 182 89. नारायण साहू : पैर काटना पड़ा नारायण साहू का — Pgs. 321
खंड-2  90. हरिशंकर महतो : बम से हथेली उड़ गई — Pgs. 323
माफिया-महाजन के शिकार 91. माझी सोय : गुरिल्ला युद्ध का प्रशिक्षक — Pgs. 325
36. तपकरा गोलीकांड : बाहरी गुंडों ने की अंधाधुंध फायरिंग — Pgs. 187 92. मनमथ बास्के : पुलिस पिटाई से मौत — Pgs. 328
37. धर्माबाँध कांड : माफिया ने करायी हत्या — Pgs. 189 93. फेटल सिंह : वनों को बचाने की लड़ाई — Pgs. 330
38. बसुरिया कांड : जगदीश, थामी, कादिर मियाँ की हत्या — Pgs. 191 94. सिदू तियू : इलाज के अभाव में मौत — Pgs. 334
39. राजपुर कोलियरी कांड : गुलाम माझी को मार डाला — Pgs. 194 95. सोहर-मोहर, बोधराम, केवल : असमय मौत के मुँह में चले गए — Pgs. 337
40. मुनीडीह कांड : वीरबल, बिरजू, हरिपद की शहादत — Pgs. 196 96. डॉ. रामदयाल मुंडा : भाषा-संस्कृति को बचाना होगा — Pgs. 339
41. पुरुलिया कांड : माकपा का आतंक — Pgs. 198 97. और यूँ ही चुपके-चुपके चल दिए — Pgs. 343
42. सिजुआ कांड : शक्तिनाथ महतो की हत्या — Pgs. 200 98. बबलू मुर्मू : फरारी जीवन में दम तोड़ा — Pgs. 346
43. चासनाला में हमला : यूनियन के हमले में सुरेंद्र महतो शहीद — Pgs. 204 99. बहादुर उराँव : जुड़वाँ बेटे की शहादत — Pgs. 348
44. चंदनकियारी हत्याकांड : तिलकधारी, जयपाल व श्रीप्रसाद की हत्या — Pgs. 206 100. उमेश, गणेश, जीतेंद्र : दुर्घटना में गई जान — Pgs. 352
45. झींकपानी गोलीकांड : मजदूरों का उग्र आंदोलन — Pgs. 208 101. विनोद बिहारी महतो की गिरफ्तारी का विरोध : 
46. बंदगाँव में हुई हत्या : लाल सिंह मुंडा का संघर्ष — Pgs. 211 शबू सोरेन ने गिरिडीह शहर को घेरा — Pgs. 354
47. केदला कोलियरी कांड : गरीबों के चहेते थे धनीराम माझी — Pgs. 216 102. एक आंदोलन ऐसा भी : विष्णुगढ़ में हुक्का-पानी बंद — Pgs. 356
48. जमशेदपुर : निर्मल महतो की हत्या — Pgs. 217 खंड-6
49. बाँधडीह में नक्सलियों ने किया अपहरण :  पुलिस जुल्म
॒॒जीतन बेसरा का शव भी नहीं मिला — Pgs. 225 103. बेल्डीहा सामूहिक दुष्कर्म : पुलिसिया जुल्म की कहानी — Pgs. 361
50. हाट टैक्स के खिलाफ आंदोलन : मछुआ गागराई की शहादत — Pgs. 226 104. पकडि़या सामूहिक दुष्कर्म : शायद ही कोई बच पाई थी — Pgs. 364
51. नेपाल रवानी : बालू माफिया ने करायी हत्या — Pgs. 230 105. पड़रिया सामूहिक दुष्कर्म : बच्ची को भी नहीं छोड़ा — Pgs. 367
52. शंकर महतो : गरीबों का सहारा — Pgs. 232 106. छामड़ागुट्टू : बेसरा के गाँव में जुल्म — Pgs. 370
53. जीवलाल महतो : वन माफिया के खिलाफ संघर्ष — Pgs. 234 107. सिंहभूम का सच : 400 घरों को जला दिया — Pgs. 372
54. सूदन महतो : नाकेबंदी में गई जान — Pgs. 236 संदर्भ — Pgs. 384
55. खानूडीह कांड : शनिचर ने बालू माफिया का आतंक तोड़ा — Pgs. 237  

The Author

Anuj Kumar Sinha

झारखंड के चाईबासा में जन्म। लगभग 35 वर्ष से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय। आरंभिक शिक्षा हजारीबाग के हिंदू हाई स्कूल से। संत कोलंबा कॉलेज, हजारीबाग से गणित (ऑनर्स) में स्नातक। राँची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई की। जेवियर समाज सेवा संस्थान (एक्स.आइ.एस.एस.) राँची से ग्रामीण विकास में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा किया। 1987 में राँची प्रभात खबर में उप-संपादक के रूप में योगदान। 1995 में जमशेदपुर से प्रभात खबर के प्रकाशन आरंभ होने पर पहले स्थानीय संपादक बने। 15 साल तक लगातार जमशेदपुर में प्रभात खबर में स्थानीय संपादक रहने का अनुभव। 2010 में वरिष्ठ संपादक (झारखंड) के पद पर राँची में योगदान। वर्तमान में प्रभात खबर में कार्यकारी संपादक के पद पर कार्यरत। स्कूल के दिनों से ही देश की विभिन्न विज्ञान पत्रिकाओं में लेखों का प्रकाशन। झारखंड आंदोलन या फिर झारखंड क्षेत्र से जुड़े मुद्दे और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन लेखन के प्रमुख विषय। कई पुस्तकें प्रकाशित। प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित पुस्तकें—‘प्रभात खबर : प्रयोग की कहानी’, ‘झारखंड आंदोलन का दस्तावेज : शोषण, संघर्ष और शहादत’, ‘बरगद बाबा का दर्द’, ‘अनसंग हीरोज ऑफ झारखंड’, ‘झारखंड : राजनीति और हालात’, ‘महात्मा गांधी की झारखंड यात्रा’ एवं ‘झारखंड के आदिवासी : पहचान का संकट’।
पुरस्कार : शंकर नियोगी पुरस्कार, झारखंड रत्न, सारस्वत हीरक सम्मान, हौसाआइ बंडू आठवले पुरस्कार आदि।

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