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Janam Avadhi   

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Author Ushakiran Khan
Features
  • ISBN : 9789386871282
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
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  • Kindle Store

More Information

  • Ushakiran Khan
  • 9789386871282
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2019
  • 144
  • Hard Cover

Description

कोकाई के संस्कार के बाद बेटों ने जैसा कि अकसर होता है, उधार लेकर भंडारे का आयोजन किया। भंडारा चूँकि साधुओं का था, सो शुद्ध घी का हलुआ-पूड़ी, बुँदिया-दही का प्रसाद रहा। संस्कार के वक्‍त ही साधु के प्रतिनिधि ने बड़े बेटे फेंकना से कहा, “तुम कोकाई को अग्नि कैसे दोगे? साँकठ जो हो, पहले कंठी धारण करो; साधु को पैठ होगा वरना...।”
रोता हुआ अबूझ-सा फेंकना कंठी धारण कर बैठ गया। बारहवीं का भोज समाप्‍त हुआ। गले में गमछा डालकर फेंकना-बुधना साधओं के सामने खड़े हुए।
“साहेब, हम ऋण से उऋण हुए कि नहीं?” कान उऋण सुनने के लिए बेताब थे। साधु घी की खुशबू में सराबोर थे; कीर्तनिया झाल-मृदंग बजाकर गा रहे थे—‘मैली चादर ओढ़ के कैसे द्वार तिहारे जाऊँ।’
“नहीं रे फेंकना, तेरी ऋणमुक्‍ति कहाँ हुई? गोसाईं साहेब ने दो साल पहले पचहत्तर मुंड साधु का भोज-दंड दिया था। नहीं पूरा कर पाया बेचारा। यह तो तुम्हें ही पूरा करना पड़ेगा। उऋण होना है तो यह सब करना पड़ेगा।”
“पचहत्तर मुंड साधु? क्या कहते हैं, हम ऐसे ही लुट गए अब कौन देगा ऋण भी हमको?” रोने लगा फेंकना।
“क्या? तो बाप का पाप कैसे कटित होगा?”
—इसी पुस्तक से
जनम अवधि संग्रह की कहानियाँ भारतीय समाज, शासन-प्रशासन में व्याप्‍त विसंगतियों, जन-आक्रोश और असंतोष से उपजी हैं। सुधी पाठकों को ये कहानियाँ अपनी लगेंगी और अपने आस-पास ही साकार होती नजर आएँगी। समाज का आईना दिखाती कहानियों का एक पठनीय कहानी-संग्रह।

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कथा-सूची

1. पत्रकारिता की रस्म — Pgs. 9

2. पुनि जहाज पर — Pgs. 21

3. नटयोगी — Pgs. 29

4. प्राणसखी — Pgs. 38

5. मोती बे-आब — Pgs. 48

6. जवाहर लाल — Pgs. 58

7. एक है जानकी  — Pgs. 63

8. प्यार-मुहब्बत  — Pgs. 67

9. शह और मात — Pgs. 73

10. लौट आओ, तरु  — Pgs. 79

11. हमके ओढ़ा द चदरिया हो, चलने की बेरिया — Pgs. 84

12. दुपहरी के फूल — Pgs. 92

13. पगडंडी — Pgs. 96

14. शुरुआत से पहले — Pgs. 100

15. अम्मा, मेरे भैया को भेजो री, कि सावन आया — Pgs. 120

16. जनम अवधि हम रूप निहारल — Pgs. 127

17. हीरा डोम की वापसी  — Pgs. 133

The Author

Ushakiran Khan

जन्म : 24 अक्‍तूबर, 1945 को लहेरिया सराय, दरभंगा में।
शिक्षा : एम.ए., पी-एच.डी. ‘प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्त्व’ (पटना विश्‍वविद्यालय)।
कृतित्व : हिंदी में चार उपन्यास, पाँच कथा-संग्रह प्रकाशित, सौ से अधिक लेख एवं रिपोर्ताज (असंकलित), तीन पूर्णकालिक नाटक मंचित, दो बाल नाटक, कई नुक्कड़ नाटक मंचित, बाल उपन्यास एवं कथाएँ। मैथिली में चार उपन्यास, एक कथा-संग्रह, एक काव्यकृति (यंत्रस्थ), दो पूर्णकालिक नाटक, दो कथा-उपन्यास, पं. हरिमोहन झा एवं नागार्जुन यात्री का नाट्य रूपांतरण।
सांस्कृतिक एवं सामाजिक कार्यों में संलिप्‍तता। महिला चरखा समिति, कदमकुआँ (जयप्रकाश नारायण का आवास) की उपाध्यक्षा। प्रख्यात एवं प्रमुख संस्था निर्माण कला मंच की अध्यक्षा एवं बाल रंगमंच ‘सफरमैना’ की अध्यक्षा।
पुरस्कार-सम्मान : राष्‍ट्रभाषा परिषद् बिहार का ‘हिंदी-सेवी सम्मान’, ‘महादेवी वर्मा पुरस्कार’ तथा ‘राष्‍ट्रकवि दिनकर पुरस्कार’ से सम्मानित।
संप्रति : सेवानिवृत्त (विभागाध्यक्ष), बी.डी. कॉलेज, मगध विश्‍वविद्यालय।

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