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Homi Jahangir Bhabha   

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Author Ganeshan Venkatraman
Features
  • ISBN : 9788173156366
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Ganeshan Venkatraman
  • 9788173156366
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2018
  • 248
  • Hard Cover

Description

भारत में परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के जनक महान् वैज्ञानिक होमी जहाँगीर भाभा बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने भारत के आधुनिक विज्ञान को एक नई दिशा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी दूरदर्शिता के कारण ही भौतिकी के साथ-साथ विज्ञान के अन्य क्षेत्रों में भी अनुसंधान कार्य हो रहे हैं, भैंफ- इलेक्ट्रानिक्स, अंतरिक्ष विज्ञान, रेडियो खगोलिकी, सूक्ष्म जैवविज्ञान आदि। लेकिन उनकी रुचि और प्रतिभा किसी सीमा में आबद्ध नहीं थी।
भाभा एक महान् स्वन्नद्रष्टा. संस्था- संस्थापक, प्रबंधक, कला व सौंदर्य-प्रेमी तथा प्रकृति-प्रेमी वैज्ञानिक थे। उनकी कार्यशैली, कर्मठता और प्रभावी व्यक्तित्व के कारण ही उनके कार्यकाल के केवल पच्चीस वर्षो में देश की वैज्ञानिक व प्रौद्योगिकी के विकास में जो गति आई. वह बेमिसाल है।
यह पुस्तक उन लोगों के लिए है जिन्हें ज्ञान प्राप्त करने की तीव्र अभिलाषा है। केवल भाभा की जीवनी ही नहीं, बल्कि उनके शोधकार्यो के बारे में महत्त्वपूर्ण विस्तृत जानकारी सरस-सुबोध भाषा में दी गई है। प्रस्तुत पुस्तक सभी आयु वर्ग के लोगों में विज्ञान के प्रति उत्सुकता जगाने में सफल होगी. ऐसी आशा है। विशेषकर भारत की नई पीढ़ी के लिए यह पुस्तक मार्गदर्शक एवं प्रेरणा का स्रोत बनेगी।

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अनुक्रमणिका

प्राक्कथन — Pgs. 5

लेखकीय — Pgs. 7

अध्याय-1 : होमी भाभा—संक्षिप्त जीवनी — Pgs. 13

अध्याय-2 : ब्रह्मांड किरणें — Pgs. 27

अध्याय-3 : कैंब्रिज में भाभा — Pgs. 47

अध्याय-4 : स्वदेश में अनुसंधान — Pgs. 86

अध्याय-5 : संस्था संस्थापक — Pgs. 133

अध्याय-6 : सपने इनसे बनते हैं — Pgs. 165

अध्याय-7 : भाभा और नेहरू — Pgs. 2०6

अध्याय-8 : भाभा का अनजाना पक्ष — Pgs. 22०

शब्दावली — Pgs. 242

होमी भाभा के जीवन की कुछ विशेष घटनाएँ — Pgs. 246

 

The Author

Ganeshan Venkatraman

प्रखर भौतिकशास्त्रीक डॉ. गाणेशन वेंकटरमन ने पचास के दशक में भाभा ऐटामिक रिसर्च सेंटर, मुंबई में अपना कैरियर प्रारंभ किया; तत्पश्चात् एक दशक से अधिक समय तक इंदिरा गांधी सेंटर फॉर ऐटामिक रिसर्च, कलपक्कम में कार्यरत रहे। वे लंबे समय तक हैदराबाद में डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन में सेवारत थे। उन्होंने सीवी रमन की खोज-शोधों के काम को आगे बढ़ाया है। वे इंडियन नेशनल साइंस एकेडमी और इंडियन एकेडमी ऑफ साइंसेज के फैलो हैं और इंडियन फिजिक्स हु एसोसिएशन के अध्यक्ष रह चुके हैं।
सन् 1979 में उन्हें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा ' सर सी. वी. रमन सम्मान ' प्रदान किया गया। वे सन् 1984 से 1986 तक नेहरू ( फाउंडेशन की जवाहरलाल नेहरू फैलोशिप के, फैलो रहे। सन् 1991 में उन्हें पद्मश्री से विभूषित किया गया। विज्ञान को लोकप्रिय बनाने में उनके महत्त्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें सन् 1994 में इंडियन नेशनल साइंस एकेडमी द्वारा 'इंदिरा गांधी सम्मान' से - विभूषित किया गया। सेवानिवृत्त होने के बाद वे श्री सत्य साईं शिक्षा संस्थान के उपकुलपति' के पद पर भी रहे।
डॉ. वेंकटरमन ने अनेक लेख व शोध-पत्र लिखे हैं, जो देश-विदेश के प्रमुख विज्ञान जर्नलों में प्रकाशित हुए हैं। सर सीवी रमन पर लिखी उनकी पुस्तक अत्यंत चर्चित और प्रशंसित हुई। संप्रति वे श्री सत्य साईं संस्थान से जुड़े हैं।

 

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