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Hiranyagarbha   

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Author Vidya Bindu Singh
Features
  • ISBN : 9789383110605
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Vidya Bindu Singh
  • 9789383110605
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2019
  • 200
  • Hard Cover

Description

भारत का स्त्री विमर्श चूँकि पश्चिम के वूमेन लिव का प्रतिफलन है, अतः स्वाभाविक ही था कि भारतीय स्त्रीवादी चिंतन को उस पश्चिमी नजरिए से देखा गया, जहाँ औरत की आजादी का मतलब है—पुरुष की बराबरी। इस सोच को हवा देने में हमारे यहाँ के बुद्धिजीवी भी पीछे नहीं रहे। उनका कहना है, ‘‘स्त्री-मुक्ति की हर यात्रा उसकी देह से शुरू होती है।’’
इस प्रकार के बोल्ड बयानों ने स्त्री-मुक्ति के अर्थ को विकृत किया है और अपने ‘वस्तु’ होने का विरोध करनेवाली स्त्री के लिए खुद ही वस्तु बनाए जाने के खतरों को बढ़ा दिया है। भारतीय संस्कृति से कटे ऐसे वक्तव्यों ने स्त्री स्वतंत्रता और स्वच्छंदता की विभाजक रेखा को मिटाकर दोनों में किस प्रकार घालमेल किया है, इसका प्रमाण हैं स्त्री-विमर्श के नाम पर परोसी गई ऐसी कहानियाँ, जिनमें स्त्री स्वतंत्रता के नाम पर स्वच्छंदता की दुहाई दी गई है।
कथाकार डॉ. विद्या विंदु सिंह का यह उपन्यास संग्रह नारी-विमर्श के विभिन्न आयामों का स्पर्श करता है—यौन हिंसा, यौन शोषण, अविवाहित मातृत्व, अशिक्षा, दहेज, यौनिक भेदभाव, विधवा पुनर्विवाह, घरेलू हिंसा, विवाह विच्छेद, परित्यक्ता नारी और पहचान का संकट आदि। इन समस्याओं के निरूपण के साथ लेखिका ने खाँटी भारतीय तरीके से समस्या का समाधान भी प्रस्तुत किया है।
—निशा गहलौत

The Author

Vidya Bindu Singh

जन्म : 2 जुलाई,1945, ग्राम जैतपुर, सोनावाँ, फैजाबाद (उ.प्र.)।
कृतित्व : 87 कृतियाँ प्रकाशित एवं 27 कृतियाँ प्रकाशनार्थ, जिनमें 8 कहानी संग्रह, 5 उपन्यास, 6 नाटक, 8 कविता संग्रह, 5 निबंध संग्रह, 21 पुस्तकें लोक साहित्य पर,15 नवसाक्षर एवं बाल साहित्य।
15 पुस्तकें व 8 पत्रिकाएँ संपादित। विभिन्न पत्र-पत्रिकओं एवं ग्रंथों में 3000 से अधिक रचनाएँ प्रकाशित एवं संकलित। आकाशवाणी एवं दूरदर्शन के विभिन्न केंद्रों से निरंतर प्रसारण। देश-विदेश की संस्थाओं, विश्‍वविद्यालयों से संबद्ध, विभिन्न साहित्यिक आयोजनों में देश-विदेशों में सक्रिय भागीदारी।
‘डॉ. विद्याविंदु सिंह व्यक्‍तित्व और कृतित्व’ पर लखनऊ, गढ़वाल, कानपुर एवं पुणे विश्‍वविद्यालय द्वारा शोध हुए। नेपाली में अनुवादित सच के पाँव (कविता संग्रह) साहित्य अकादेमी, दिल्ली द्वारा पुरस्कृत। जापानी, बँगला, मलयालम, कश्मीरी, तेलुगु में भी रचनाओं के अनुवाद प्रकाशित।
संप्रति : साहित्य एवं समाजसेवा का कार्य।

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