Prabhat Prakashan, one of the leading publishing houses in India eBooks | Careers | Events | Publish With Us | Dealers | Download Catalogues
Helpline: +91-7827007777

Grameen Swavlamban

₹350

In stock
  We provide FREE Delivery on orders over ₹1500.00
Delivery Usually delivered in 5-6 days.
Author Deepak Banka
Features
  • ISBN : 9789381063491
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Deepak Banka
  • 9789381063491
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2018
  • 176
  • Hard Cover
  • 365 Grams

Description

औद्योगीकरण की गलत नीतियों से परंपरागत खेती एवं पशुपालन की बलि चढ़ गई है। इसके परिणामस्वरूप अत्यंत कम खर्च में आत्मनिर्भर होने का भारत का सपना भी ध्वस्त हो गया। औद्योगीकरण का प्रभाव खेती पर भी पड़ा। रसायनों, उर्वरकों और कीटनाशकों के साथ सिंचाई के आधुनिक तरीकों ने कृषि का खर्च बढ़ाया, जमीन की उर्वरा-शक्‍ति नष्‍ट की, भूजल के स्तर का सत्यानाश किया। जो खेती हमारा पेट भरने, तन ढकने, हमारी बीमारी का उपचार करने और हमारे सिर ढकने का आधार होने के साथ पर्यावरण संतुलन को कायम रखनेवाली थी, वही आज पर्यावरण बिगाडऩे वाली बन चुकी है। खेती महँगी होने के कारण छोटे किसानों के लिए अब खेती करना दूभर हो चुका है। इससे गाँवों की अर्थव्यवस्था चरमरा गई, अपने संसाधनों और ज्ञान के आधार वाला आत्मनिर्भर तंत्र खत्म हो गया।
यह पुस्तक देश की समस्याओं का विवेचन कर स्वदेशी की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा देती है। इतना ही नहीं, भारत को बचाने तथा असली भारत बनाने का रास्ता भी सुझाती है।
जो कोई भी अपने आपको, अपने गाँव-समाज और देश को बचाने के लिए काम करना चाहते हैं, कृपया वे इस पुस्तक को अवश्य पढ़ें।

The Author

Deepak Banka

जन्म : 25 सितंबर, 1967 को मुजफ्फरपुर में।
कृतित्व :‘जागा बिहार—जागो बिहारी’ ऑडियो सी.डी. का निर्माण तथा पुस्तक ‘भारतीय सामर्थ्य एवं चुनौतियाँ’ का लेखन व संकलन।
पुरस्कार : वर्ष 1990 में स्काउट गाइड का सर्वोच्च पुरस्कार ‘राष्ट्रपति रोवर सम्मान’।
संप्रति : बी.कॉम. की शिक्षा के पश्चात् पारिवारिक व्यवसाय में रत।
E-mail: deepak.banka51@gmail.com

Customers who bought this also bought

WRITE YOUR OWN REVIEW