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Gram Swarajya

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Author Mahatma Gandhi
Features
  • ISBN : 9789350480212
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Mahatma Gandhi
  • 9789350480212
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2019
  • 224
  • Hard Cover
  • 465 Grams

Description

ग्राम स्वराज्य—महात्मा गांधीयह सोचना गलत है कि गांधीजी आज के उद्योगीकरण के बारे में बहुत पुराने विचार रखते थे। सच पूछा जाए तो वे उद्योगों के यंत्रीकरण के विरुद्ध नहीं थे। गाँवों के लाखों कारीगरों को काम दे सकनेवाले छोटे यंत्रों में जो भी सुधार किया जाए, उसका वे स्वागत करते थे। गांधीजी बड़े-बड़े कारखानों में विपुल मात्रा में माल पैदा करने के बजाय देश के विशाल जन-समुदायों द्वारा अपने घरों और झोंपड़ों में माल का उत्पादन करने की हिमायत करते थे। वे भारत के प्रत्येक सबल व्यक्‍ति को पूरा काम देने के बारे में बहुत अधिक चिंतित रहते थे और मानते थे कि यह ध्येय तभी सिद्ध होगा जब गाँवों में सुचारु रूप से ग्रामोद्योगों तथा कुटीर उद्योगों का संगठन और संचालन किया जाएगा। महात्मा गांधी ग्राम-पंचायतों के संगठन द्वारा आर्थिक और राजनीतिक सत्ता के विकेंद्रीकरण का जोरदार समर्थन करते थे।
दुर्भाग्य से आर्थिक जीवन के नैतिक और आध्यात्मिक पहलू की हमेशा उपेक्षा की गई है, जिसके फलस्वरूप सच्चे मानव-कल्याण को बड़ी हानि पहुँची है। आधुनिक अर्थशास्‍‍त्री अब इस महत्त्वपूर्ण आवश्यकता पर जोर देने लगे हैं कि यदि हमें विशाल पैमाने पर तीव्र गति से आर्थिक विकास साधना है तो ‘वस्तुओं की गुणवत्ता’ बढ़ाने के साथ ‘मनुष्यता की गुणवत्ता’ भी बढ़ानी चाहिए। अतः वर्तमान परिस्थिति में गांधीजी के ‘ग्राम स्वराज्य’ की अवधारणा के पठन-पाठन की महती आवश्यकता है।

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अनुक्रम

पाठकों से — Pgs. 5

प्राक्कथन — Pgs. 7

भूमिका — Pgs. 11

1. स्वराज्य का अर्थ — Pgs. 25

2. आदर्श समाज का चित्र — Pgs. 30

3. आशा का एकमात्र मार्ग — Pgs. 32

4. शहर और गाँव — Pgs. 41

5. ग्राम-स्वराज्य — Pgs. 47

6. ग्राम-स्वराज्य के बुनियादी सिद्धांत — Pgs. 51

7. शरीर-श्रम — Pgs. 60

8. समानता — Pgs. 64

9. संरक्षकता का सिद्धांत — Pgs. 66

10. स्वदेशी की भावना — Pgs. 69

11. स्वावलंबन और सहयोग — Pgs. 75

12. पंचायत राज — Pgs. 80

13. नई तालीम — Pgs. 86

14. खेती और पशुपालन — Pgs. 99

15. खादी और कताई — Pgs. 130

16. अन्य ग्रामोद्योग — Pgs. 144

17. गाँवों का यातायात — Pgs. 163

18. मुद्रा, विनिमय और कर — Pgs. 168

19. गाँवों की सफाई — Pgs. 170

20. गाँवों का स्वास्थ्य — Pgs. 172

21. आहार — Pgs. 186

22. गाँव की रक्षा — Pgs. 193

23. ग्रामसेवक — Pgs. 197

24. सरकार और गाँव — Pgs. 218

25. भारत और विश्व — Pgs. 222

The Author

Mahatma Gandhi

2 अक्‍तूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में जनमे मोहनदास करमचंद गांधी विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्‍त कर बैरिस्टर बने। उन्होंने भारत को स्वतंत्र कराने के लिए आजादी की लड़ाई में सत्याग्रह और अहिंसा को अपना अस्त्र बनाया।
गांधीजी ने अपने दक्षिण अफ्रीका प्रवास में ‘फीनिक्स’ आश्रम की स्थापना की तथा वहाँ से ‘इंडियन ओपिनियन’ अखबार निकाला। स्वदेश लौटकर आजादी की लड़ाई के पथ-प्रदर्शन बने। उन्होंने ‘हरिजन’ सहित कई समाचार-पत्रों का संपादन किया तथा अनेक पुस्तकें लिखीं। बापू ने ‘सत्याग्रह’, ‘सविनय अवज्ञा’, ‘असहयोग आंदोलन’ तथा ‘अंग्रेजो, भारत छोड़ो’ आंदोलनों का नेतृत्व कर भारत को स्वतंत्र कराया।
समाज-सुधारक और विचारक के रूप में भी उनका योगदान अनुपम है। जातिवाद, छुआछूत, परदा-प्रथा, बहु-विवाह, विधवाओं की दुर्दशा, नशाखोरी और सांप्रदायिक भेदभाव जैसी अनेक सामाजिक बुराइयों के सुधार हेतु रचनात्मक संघर्ष किया और राष्‍ट्रीय एकता के लिए हिंदी को ‘राष्‍ट्रभाषा’ घोषित किया।
स्मृतिशेष : 30 जनवरी, 1948।

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