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Field Marshal Sam Manekshaw   

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Author Shubhi Sood
Features
  • ISBN : 9788173157103
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Shubhi Sood
  • 9788173157103
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2020
  • 280
  • Hard Cover

Description

कहते हैं, अनि‍च्छा से चुना गया कैरियर सफल नहीं होता, पर लगन और लक्ष्‍य के प्रति प्रतिबद्धता हो तो क्या नहीं हो सकता! विदेश पढ़ने न जाने देने के अपने पिता डॉ. मानेकशॉ के निर्णय का विरोध करने के लिए सैम ने सेना में कमीशन लिया, और अपने अदम्य साहस, नेतृत्व कौशल और कुशल प्रशासनिक क्षमता के बल पर भारत के पहले फील्‍ड मार्शल बने।
बर्मा में गंभीर रूप से घायल होने के कारण युद्ध में साहस और वीरता के लिए उन्हें ‘मिलिट्री क्रॉस’ से सम्मानित किया गया। तदुपरांत उन्हें अनेक महत्त्वपूर्ण दायित्व सौंपे गए। इससे उनकी प्रतिभा निखरी और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ी, जिसने उन्हें उच्‍च कमान करने में दक्ष बनाया। अपने पूरे कैरियर के दौरान फील्ड मार्शल ने अतुल्य नैतिक साहस दिखाकर एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया।

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सूची-क्रम

1. आरंभिक वर्ष — Pgs. 23

2. पूर्वी कमांड — Pgs. 58

3. चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ — Pgs. 87

4. सन् 1971 का युद्ध — Pgs. 144

5. सन् 1971 के बाद — Pgs. 198

6. सेना से बाद के दिन — Pgs. 224

7. नेतृत्व : मानेकशॉ की शैली — Pgs. 243

8. सैम बहादुर के अंतिम दिन — Pgs. 266

The Author

Shubhi Sood

मेजर जनरल शुभी सूद का जन्म एवं लालन-पालन शिमला में हुआ। वहाँ से स्कूली शिक्षा प्राप्‍त करने के बाद उन्होंने ‘नेशनल डिफेंस एकेदमी’ में प्रवेश लिया। उन्हें 8वीं गोरखा की चौथी बटालियन में कमीशन दिया गया। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के झंगड़ क्षेत्र में और बाद में मणिपुर व नागालैंड में सैन्य काररवाइयों में भाग लिया।
सन् 1971 के युद्ध के कुछ पहले कैप्टन सूद की पदोन्नति मेजर के पद पर हुई और उन्हें थलसेनाध्यक्ष के उप सेना-सहायक का पदभार सौंपा गया। सितंबर 1972 में शुभी इंग्लैंड के कैंबरली के स्टाफ कॉलेज में अध्ययन के लिए गए। उन्‍होंने ‘हायर कमांड’ व ‘नेशनल डिफेंस कॉलेज कोर्स’ के महत्त्वपूर्ण पाठ्यक्रमों का अध्ययन किया। सूद वहाँ प्रशिक्षक भी रहे।
जब वे 12 कोर के चीफ ऑफ स्टाफ थे, तब उन्होंने सेना से सेवानिवृत्ति ले ली। जनरल सूद ने भारत में ‘ए.वी.आई.एस.टेंट ए कार’ मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पद पर काम किया। तत्पश्‍चात‍् लेखन में व्यस्त रहे। दिसंबर 2004 में उनकी एक अन्य पुस्तक ‘यंग हजबैंड : ट्र्रबल्ड कैं पेन’ प्रकाशित हुई।

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