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Dr Lohia Aur Unka Jeevan-Darshan

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Author Mukul Kumar
Features
  • ISBN : 9789350482070
  • Language : Hindi
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  • Kindle Store

More Information

  • Mukul Kumar
  • 9789350482070
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 2017
  • 144
  • Hard Cover
  • 290 Grams

Description

डॉ. राममनोहर लोहिया सही मायने में समाजवादी नेता थे, जो समाज के सबसे कमजोर तबके के व्यक्‍ति को समाज की मुख्यधारा में लाकर उसका विकास करने के हिमायती थे। अपने प्रखर चिंतन और विचारशीलता के कारण उनको खूब सम्मान प्राप्‍त था।
सामान्यत: लोहिया के चिंतक-स्वरूप को पिछड़ी व दबी जातियों को आगे लाने वाले उनके चिंतन तक सीमित कर दिया जाता है, जबकि विश्‍व सरकार की अवधारणा, मार्क्स के बाद अर्थशास्‍‍त्र और एशियाई देशों में क्रांति के अवरुद्ध होने के कारकों पर लोहिया उसी प्रबलता से विचार करते हैं। मुकुल लिखते हैं—'लोहिया की मुख्य स्थापना पूँजीवादी देशों के मजदूरों और औपनिवेशिक मजदूरों की स्थिति में अंतर को लेकर है। लोहिया की इस स्थापना से गुजरने के बाद 'दुनिया के मजदूरों एक हो’ का नारा भावनात्मक लगने लगता है।’
प्रस्तुत पुस्तक डॉ. लोहिया के बहुआयामी चिंतक-स्वरूप को सहज भाषा में सामने रखती है। नई पीढ़ी के लिए इस पुस्तक से गुजरना उसे एक वैचारिक नवोन्मेष देगा।

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अनुक्रमणिका

प्रस्तावना — Pgs. 7

लेखकीय — Pgs. 11

1. जीवन — Pgs. 17

2. समाजवादोन्मुख — Pgs. 21

3. गांधी में आस्था — Pgs. 24

4. संसद् में लोहिया — Pgs. 28

5. मार्स के बाद अर्थशास्त्र — Pgs. 33

6. रंगीन समाजों की अवरुद्ध क्रांतियाँ — Pgs. 46

7. नासिर और अरब चेतना — Pgs. 51

8. गांधियन समाजवाद — Pgs. 54

9. विश्व सरकार की अवधारणा — Pgs. 61

10. लोहिया की विचार-प्रणाली — Pgs. 66

11. जाति — Pgs. 71

12. भारत-विभाजन के अपराधी-1 — Pgs. 80

13. भारत-विभाजन के अपराधी-2 — Pgs. 83

14. पत्रों में लोहिया — Pgs. 95

15. संस्मरणों में लोहिया — Pgs. 106

16. राम, कृष्ण और शिव — Pgs. 119

17. रामायण मेला — Pgs. 122

18. काले-गोरे में भेद नहीं — Pgs. 125

19. कवित्वपूर्ण भाषा — Pgs. 128

20. मार्स, गांधी, निजी संपत्ति और लोहिया — Pgs. 131

21. जाति और योनि के कठघरे — Pgs. 134

22. सप्तक्रांति — Pgs. 138

परिशिष्ट — Pgs. 141

The Author

Mukul Kumar

जन्म : 1966 में आरा (बिहार) के संदेश थाने के तीर्थकौल गाँव में।
शिक्षा : एम.ए. राजनीति विज्ञान।
कृतियाँ : सन् 2000 में ‘परिदृश्य के भीतर’ और सन् 2006 में ‘ग्यारह सितंबर और अन्य कविताएँ’ कविता-संग्रह प्रकाशित। कविता की आलोचना पर ‘कविता का नीलम आकाश’ तथा कैंसर पर एक किताब शीघ्र प्रकाश्य। देश की तमाम हिंदी पत्र-पत्रिकाओं में कविता, कहानी, समीक्षा और आलेखों का नियमित प्रकाशन।
कॉलम : ‘दैनिक अमर उजाला’ में 1997-1999 के बीच साप्ताहिक कॉलम ‘बिहार : तंत्र जारी है’ का लेखन।
ब्लॉगिंगः पिछले चार सालों से ‘कारवाँ’ ब्लॉग का संचालन, संपादन। इसके अलावा आधा दर्जन ब्लॉग।
संपादन : द्वैमासिक साहित्यिक लघु पत्रिका ‘संप्रति पथ’ का दो वर्षों
2005-07 तक संपादन। त्रैमासिक ‘मनोवेद’ में 2007 से कार्यकारी संपादक के रूप में कार्य।
सम्मान : सन् 2000 में ‘परिदृश्य के भीतर’ के लिए पटना पुस्तक मेले का ‘विद्यापति सम्मान’।
संपर्क : kumarmukul07@gmail.com

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