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Biruwar Gamchha Tatha Anaya Kahaniyan   

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Author Rose Kerketta
Features
  • ISBN : 9789351868781
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more

More Information

  • Rose Kerketta
  • 9789351868781
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2017
  • 144
  • Hard Cover

Description

रोज केरकेट्टा सोशल एक्टिविस्ट हैं। झारखंड अलग राज्य के आंदोलन की एक अग्रणी नेता। इसी सामाजिक सरोकार ने उन्हें निरा कहानीकार बनने से रोका है। इस संग्रह की छोटी-छोटी कहानियों के माध्यम से वे लगभग उन तमाम सवालों को संबोधित-एड्रेस करती हैं, जो आदिवासी समाज के जीवन और अस्तित्व का प्रश्न बना हुआ है। विस्थापन की पीड़ा, पलायन की त्रासदी, औद्योगीकरण से तबाह होता आदिवासी समाज, गैर-आदिवासी समाज के बीच जगह बनाने के लिए एक आदिवासी युवती की जद्दोजेहद, अपसंस्कृति का बढ़ता प्रभाव और पुरखों की अपनी विरासत से जुड़े रहने की अदम्य इच्छा, ये सभी रोज की कहानियों की विषयवस्तु हैं। लेकिन उसी तरह कथानक में छुपा हुआ जैसे फूलों में सुगंध होती है। अपनी बात कहने के लिए किसी एक स्थान पर भी रोज उपदेशक नहीं बनतीं और न आदर्शों का बखान करती हैं।
—विनोद कुमार
सात दशकों की पृष्ठभूमि में लिखी ये कहानियाँ आदिवासी समाज की सच्ची तसवीर पेश करती हैं। आजादी के पहले जिस तरह के हालात थे, परंपराएँ थीं, आदिवासी जीवनदर्शन था, जल जंगल और जमीन से जुड़े रहने का जज्बा था, अपनापन था—किस तरह उनमें तब्दीलियाँ आईं, उन पर बाहरी माहौल, परंपराओं, संस्कृति के हमले हुए—इन तमाम हकीकतों की पृष्ठभूमि में इन कहानियों को बहुत ही सशक्त ढंग से उभारा गया है।...विकास परियोजनाओं का दौर चला। उन परियोजनाओं में उनके खेत-खलिहान, गाँव-घर डूबते चले गए, और तब विस्थापन, पलायन, शोषण का एक अंतहीन सिलसिला शुरू हो गया। आदिवासी समाज अब खुद को कहाँ पाता है—उनकी अस्मिता, उनका अस्तित्व कहाँ रचता-बसता है—रोज की कहानियों में यही सब है और आदिवासी समाज की नई दिशाएँ भी, जो हमें सोचने पर मजबूर करती हैं।
—पीटर पौल एक्का

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अनुक्रम

उम्र के आठवें दशक में नई कहानियाँ — 7

जहाँ आप पहले कभी नहीं गए होंगे — 11

नए भविष्य की नई दिशाओं की कहानियाँ — 19

1. प्रतिरोध — 27

2. घाना लोहार का — 36

3. फ्रॉक — 45

4. फिक्स्ड डिपॉजिट — 53

5. जिद — 73

6. बड़ा आदमी — 87

7. माँ — 95

8. से महुआ गिरे सगर राति — 110

9. मैग्नोलिया पॉइंट — 117

10. रामोणी — 124

11. बिरुवार गमछा — 132

The Author

Rose Kerketta

रोज केरकेट्टा
जन्म : 5 दिसंबर, 1940 को सिमडेगा (झारखंड) के कसिरा सुंदरा टोली गाँव में ‘खडि़या’ आदिवासी समुदाय में। 
शिक्षा : हिंदी में एम.ए. और पी-एच.डी.। 
कृतित्व : अध्यापन का पेशा। मातृभाषा खडि़या के साथ-साथ हिंदी भाषा-साहित्य को समृद्ध बनाने में इनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। झारखंड की आदि जिजीविषा और समाज के महत्त्वपूर्ण सवालों को सृजनशील अभिव्यक्ति देने के साथ ही जनांदोलनों को बौद्धिक नेतृत्व प्रदान करने तथा संघर्ष की हर राह में आप अग्रिम पंक्ति में रही हैं।
प्रकाशन : ‘खडि़या लोक कथाओं का साहित्यिक और सांस्कृतिक अध्ययन’ (शोध-ग्रंथ), ‘प्रेमचंदाअ लुङकोय’ (प्रेमचंद की कहानियों का खडि़या अनुवाद), ‘सिंकोय सुलोओ, लोदरो सोमधि’ (खडि़या कहानी-संग्रह), ‘हेपड़ अवकडिञ बेर’ (खडि़या कविता एवं लोक कथा-संग्रह), ‘खडि़या निबंध संग्रह’, ‘खडि़या गद्य-पद्य संग्रह’, ‘जुझइर डांड़’ (खडि़या नाटक-संग्रह), ‘सेंभो रो डकई’ (खडि़या लोकगाथा), ‘स्त्री महागाथा की महज एक पंक्ति’ (वैचारिक लेख-संग्रह) एवं ‘बिरुवार गमछा तथा अन्य कहानियाँ’ (कथा-संग्रह)। इसके अतिरिक्त विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं, दूरदर्शन तथा आकाशवाणी से भी सृजनात्मक विधाओं में हिंदी एवं खडि़या भाषाओं में सैकड़ों रचनाएँ प्रकाशित एवं प्रसारित।
संप्रति : सेवानिवृत्ति के पश्चात् स्वतंत्र लेखन एवं विभिन्न नागरिक संगठनों में सक्रिय भागीदारी। ‘आधी दुनिया’ का संपादन।
संपर्क : चेशायर होम रोड, बरियातु, राँची-834009 (झारखंड)

 

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