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Bharat Mein Satat Shiksha   

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Author Naseem Ahmed
Features
  • ISBN : 8188267074
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Naseem Ahmed
  • 8188267074
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2009
  • 187
  • Hard Cover

Description

सतत शिक्षा कार्यक्रम' को साक्षरता अभियान के तीसरे चरण के रूप में बुनियादी साक्षरता और प्राथमिक शिक्षा प्राप्‍‍त कर चुके सभी व्‍यक्‍त‌ियों को आजीवन शिक्षा के लिए अवसर प्रदान करने के माध्यम के रूप में चलाया जाता है। सामान्यत: ' सतत शिक्षा कार्यक्रमों को उन सभी नवसाक्षरों, जिन्‍होंने संपूर्ण साक्षरता अभियान अथवा उत्तर साक्षरता कार्यक्रम के अंतर्गत कार्यात्‍मक साक्षरता/उत्तर साक्षरता पूरी कर ली हो, को केंद्रित किया जाता है। नवसाक्षरों के अतिरिक्‍त यह कार्यक्रम उन सभी व्‍‍यक्‍त‌ियों के लिए भी है, जिन्होंने अनेक कारणों से शिक्षा पूरी नहीं की तथा कुछ कक्षाओं में पढ़कर बीच में ही शिक्षा छोड़ दी। यह कार्यक्रम समुदाय के उन सभी व्‍यक्‍त‌ियों की जरूरतें भी पूरी करता है, जो आजीवन शिक्षा में रुचि रखते हों। सतत शिक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत क्षेत्र में छूट गए निरक्षरों को साक्षर बनाने की प्रक्रिया पर निरंतर बल दिया जाता है। निरक्षरों को साक्षर बनाने की प्रक्रिया तब तक चलती रहेगी जब तक क्षेत्र विशेष में सभी सामान्य निरक्षर व्यक्‍ति, विशेष रूप से पंद्रह से पैंतीस वर्ष तक की आयु वर्ग के, साक्षर न हो जाएँ।

The Author

Naseem Ahmed

मानव संसाधन विकास मंत्रालय, शिक्षा विभाग, भारत सरकार में शिक्षा अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। इससे पूर्व वह राज्य संसाधन केंद्र ( प्रौढ़ शिक्षा), देहरादून ( उत्तरांचल) में निदेशक पद पर कार्यरत रहे। वह प्रभावशाली शै‌क्ष‌िक योग्यताओं के धनी हैं। उन्होंने गढ़वाल विश्‍वविद्यालय से प्राणिविज्ञान में एम. एस- सी. ( 1978); जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली से एम. एड. ( 1985) तथा शिक्षा में एम. फिल. ( 1986); दिल्ली विश्‍वविद्यालय से प्रौढ़ एवं सतत शिक्षा में एम. ए. - पश्‍च डिप्लोमा ( 1991) तथा प्रौढ़ शिक्षा में पी-एच. डी. ( 1999) की उपाधियाँ प्राप्‍‍त कीं । वह अक्‍तूबर 1992 से शिक्षा वि भाग के प्रौढ़ शिक्षा ब्यूरो से संबद्ध हैं। इस अवधि के दौरान उन्होंने साक्षरता तथा प्रौढ़ शिक्षा के विाभिन्न पहलुओं पर लगभग पच्चीस लेखों की रचना की है, जिनका प्रकाशन प्रौढ़ शिक्षा से संबंधित अनेक राष्‍ट्रीय पत्रिकाओं में हुआ है। यह उनकी तीसरी पुस्तक है।

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