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Bharat Ki Nayi Rashtrabhasha    

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Author Umesh Prasad Singh
Features
  • ISBN : 9789384343354
  • Language : Hindi
  • ...more

More Information

  • Umesh Prasad Singh
  • 9789384343354
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 2016
  • 192
  • Hard Cover

Description

डॉ.उमेश प्रसाद सिंह के ललित निबंधों का यह तीसरा संग्रह है। ‘हवा कुछ कह रही है’ और ‘नदी सूखने की सदी में’ संग्रह के निबंधों का हिंदी जगत में व्यापक रूप में समादर हुआ है। अपने दौर में उमेश प्रसाद सिंह का लेखन निबंध की पारंपरिक विरासत को नए आयामों में विकसित करने के लिए जाना जाता है। इनके निबंध ललित निबंधों की प्रचलित रूपगत और ध्वनिगत अवधारणा को तोड़ते निबंध हैं। अर्थ-व्यंजना के नए रास्तों की तलाश का इनमें जोखिम भरा उत्साह है।
इस पुस्तक के निबंध रचनाकार की विकास-यात्रा का अपनी रचनात्मक विशिष्टता में उद्घोष करते दिखाई पड़ते हैं। विषय की व्यापकता चिंतन के विस्तृत फलक का स्वयं प्रमाण प्रस्तुत करती है। इसमें मिथक, इतिहास और समकालीन जीवन-बोध अलग-अलग न होकर आपस में इस कदर संश्लिष्ट हैं कि एक सुदीर्घ अविच्छिन्न जीवन परंपरा के वाहक बन जाते हैं। इस संग्रह के निबंध संस्कृति-विमर्श के निबंध नहीं है, बल्कि संस्कृति की जीवंत सत्ता के अनुभव बोध के निबंध हैं। समकालीन राष्ट्रीय जन-जीवन की वेदना का गान इनमें साफ सुनाई पड़ता है।
अपनी लयात्मक भाषा के कारण इस पुस्तक के निबंध अपनी अलग अस्मिता स्थापित करते हैं। मगर इससे भी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इन निबंधों की भाषा और अन्तर्वस्तु में एक सांगीतिक संगति है, जो पाठक के मन को पर्युत्सुक भी करती है और रसात्मक तोष भी देती है। इस संग्रह के निबंधों में आत्मीय आमंत्रण की गंध फूटती हुई महसूस होती है।
इन निबंधों के केंद्र में मनुष्य की जीवन स्थितियाँ हैं। गहरी रागात्मक संवेदना है। सूक्ष्म विडंबना बोध है। प्रकृति के साथ आत्मिक संबंध है। राष्ट्रीय उत्थान की ललक है। जातीय जीवन का गौरव बोध है। अपने समय की सम्यक समझ है।

 

The Author

Umesh Prasad Singh

जन्म : 20 जुलाई, 1961 को चंदौली जनपद के खखड़ा गांव में।
शिक्षा : काशी हिंदू विश्वविद्यालय  में। वहीं से डॉ. शिवप्रसाद सिंह के निर्देशन में हिंदी में पी.एच.डी.।
वाराणसी के हरिश्चंद्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय में और डॉ. घनश्याम सिंह पी.जी. कॉलेज में अध्यापन। हिंदी विभाग काशी हिंदू विश्वविद्यालय में रिसर्च एसोसिएट के रूप में उच्च स्तरीय शोध और अध्यापन।
ठाकुर प्रसाद उपांत महाविद्यालय के संस्थापक प्राचार्य।
संप्रति : प्राचार्य, माँ गायत्री महिला महाविद्यालय, हिंगुतरगढ़, चंदौली।
कृतियाँ : यह भी सच है (कहानी संग्रह), क्षितिज के पार (उपन्यास), हवा कुछ कह रही है (ललित निबंध), बच्चों को सिर्फ गणित पढ़ाइए (व्यंग्य निबंध), हारी हुई लड़ाई का वारिस (ठाकुर प्रसाद सिंह के रचना कर्म पर), स्वातंत्र्योत्तर हिंदी उपन्यास (समीक्षा), दस दिगंत (संपादन), नदी सूखने की सदी में (ललित निबंध), यह उपन्यास नहीं है (उपन्यास), चलो, चलें  अपनी मधुशाला (काव्य)
संपर्क : ग्राम व पोस्ट—खखड़ा, जिला—चंदौली-232118 (उ.प्र.)।
मो.- 9450551160

 

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