Prabhat Prakashan, one of the leading publishing houses in India eBooks | Careers | Events | Publish With Us | Dealers | Download Catalogues
Helpline: +91-7827007777

Bharat-Cheen Sambandh   

₹350

Out of Stock
  We provide FREE Delivery on orders over ₹1500.00
Delivery Usually delivered in 5-6 days.
Author Arun Shourie
Features
  • ISBN : 9788173157219
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Arun Shourie
  • 9788173157219
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2011
  • 224
  • Hard Cover

Description

भारत-चीन संबंधों में आरोहों-अवरोहों का एक लंबा इतिहास रहा है। ‘हिंदी-चीनी भाई-भाई’ का नारा लगाते हुए भी सन् 1962 में चीन ने भारत पर आक्रमण किया। इसके बाद भी चीन भारत के अनेक क्षेत्रों में लगातार अतिक्रमण करता रहा है। चीन के प्रति आत्मसमर्पण की स्थिति हमारी नीतियों के कारण ही है। चीन के अतिक्रमण के लिए केवल सरकारी नीतियाँ ही जिम्मेदार नहीं रही हैं, अपितु इसके लिए अन्य कारक भी उत्तरदायी रहे हैं, जैसे—हमारे देश की पूर्णरूप से ध्वस्त हो चुकी राजनीतिक व्यवस्था; सरकारी निकायों की अत्यधिक दुर्गति, जिसके कारण इनकी क्षमता खत्म होती जा रही है। लोगों में भौतिक साधनों के प्रति आकर्षण मीडिया और उसकी ‘जीवन-शैली पत्रकारिता’ द्वारा उत्पन्न किया जाता है—तब कौन सा देश इन परिस्थितियों में अवसर तलाश नहीं करेगा? क्या चीन नहीं करेगा? यह पुस्तक उन भ्रांतियों की रूपरेखा प्रस्तुत करती है, जिसने पंडित नेहरू को भी भ्रमित कर दिया और जिसके फलस्वरूप देश को भारी क्षति उठानी पड़ी। सन् 1962 की पराजय पर अब तक बहुत सा साहित्य लिखा जा चुका है; परंतु यह पुस्तक उन सबसे अलग हटकर है। इसमें केवल पंडितजी के लेखों व भाषणों के आधार पर उनकी चीन संबंधी नीतियों का पुनर्मूल्यांकन करने का प्रयास किया गया है। चीनियों द्वारा हमें सिखाए गए सबक, जो हमने नहीं सीखे, उन्हें उद‍्घाटित कर अंतर्मंथन और पुनर्विचार करने का मार्ग प्रशस्त करती है विद्वान् पत्रकार-अरुण शौरी की पुस्तक भारत-चीन संबंध।

The Author

Arun Shourie

सन् 1941 में जालंधर (पंजाब) में जनमे श्री अरुण शौरी ने दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद सिराक्यूज यूनिवर्सिटी, अमेरिका से अर्थशास्‍‍त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्‍त की। राजग सरकार में वह विनिवेश, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालयों सहित कई अन्य विभागों का कार्यभार सँभाल चुके हैं। ‘बिजनेस वीक’ ने वर्ष 2002 में उन्हें ‘स्टार ऑफ एशिया’ से सम्मानित किया था और ‘दि इकोनॉमिक टाइम्स’ द्वारा उन्हें ‘द बिजनेस लीडर ऑफ द इयर’ चुना गया था। ‘रेमन मैग्सेसे पुरस्कार’, ‘दादाभाई नौरोजी पुरस्कार’, ‘फ्रीडम टु पब्लिश अवार्ड’, ‘एस्टर पुरस्कार’, ‘इंटरनेशनल एडिटर ऑफ द इयर अवार्ड’ और ‘पद्मभूषण सम्मान’ सहित उन्हें कई अन्य राष्‍ट्रीय व अंतरराष्‍ट्रीय सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है। वे ‘इंडियन एक्सप्रेस’ के संपादक रह चुके हैं। विएना स्थित अंतरराष्‍ट्रीय प्रेस संस्था ने पिछली अर्ध-शताब्दी में प्रेस की स्वतंत्रता की दिशा में किए गए उनके कार्यों के लिए उन्हें विश्‍व के पचास ‘वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम हीरोज’ में स्थान दिया है। पच्चीस से अधिक पुस्तकें प्रकाशित।

Customers who bought this also bought

WRITE YOUR OWN REVIEW