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Bachapan Ki Kahaniyan   

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Author Giriraj Sharan
Features
  • ISBN : 9788173151422
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Giriraj Sharan
  • 9788173151422
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2010
  • 164
  • Hard Cover

Description

प्रस्तुत पुस्तक ' बचपन की कहानियाँ ' प्रसिद्ध साहित्यकार और शिक्षा-मनीषी डॉ. गिरिराजशरण अग्रवाल द्वारा संपादित कहानियों का संकलन है । इन कहानियों के माध्यम से बाल- मनोविज्ञान पर गहरी दृष्‍ट‌ि डाली गई है । बच्चे किन-किन अवस्थाओं में अपने कुटुंब से प्रसन्न रहते हैं, कब क्षुब्ध रहते हैं, उनके कारण क्या हैं, अभिभावक की कौन सी कमजोरियाँ बच्चों पर गलत प्रभाव डालती हैं आदि अनेक समस्याएँ और उनका निदान कहानियों की भाव- भूमि है । हमारे सामाजिक जीवन में लड़कियों को लड़कों की अपेक्षा निकृष्‍ट समझने का जो स्वभाव है, वह भी कई प्रकार की मनोवैज्ञानिक उलझनें उत्पन्न करता है । इस सम्मान से जहाँ एक ओर लड़कियों में अपने आपको दुर्बल समझते रहने की प्रवृत्ति उत्पन्न होती है, वहीं लड़कों में महिलाओं के प्रति एक दूषित दृष्‍ट‌िकोण भी पनपता रहता है । भविष्य में यह प्रवृत्ति पुरुष एवं महिला वर्गों के बीच के रिश्ते को अमानवीय स्तर पर पहुँचा देती है । इस विवरण से यह भी ज्ञात होता है कि बच्चे चाहे संपन्न वर्ग के हों अथवा निर्धन वर्ग के, लड़कियों के रूप में हों या लड़कों के, हम बड़ी के द्वारा किए गए अनुचित व्यवहार के कारण अपने संतुलित विकास की ओर बढ़ नहीं पाते हैं ।
इस संकलन में ऐसी ही कतिपय समस्याओं से जूझते बच्चों और उनके मनोविज्ञान को रूपायित करनेवाली कहानियाँ संगृहीत हैं । प्रकृति की कमान से निकलते हुए इन तीरों को अपना मार्ग -स्वयं बनाने में आप पूरा-पूरा सहयोग देंगे, इसी आशा के साथ प्रस्तुत है यह संकलन ।

The Author

Giriraj Sharan

जन्म : सन् 1944, संभल ( उप्र.) ।
डॉ. अग्रवाल की पहली पुस्तक सन् 1964 में प्रकाशित हुई । तब से अनवरत साहित्य- साधना में रत आपके द्वारा लिखित एवं संपादित एक सौ से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । आपने साहित्य की लगभग प्रत्येक विधा में लेखन-कार्य किया है । हिंदी गजल में आपकी सूक्ष्म और धारदार सोच को गंभीरता के साथ स्वीकार किया गया है । कहानी, एकांकी, व्यंग्य, ललित निबंध, कोश और बाल साहित्य के लेखन में संलग्न डॉ. अग्रवाल वर्तमान में वर्धमान स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बिजनौर में हिंदी विभाग में रीडर एवं अध्यक्ष हैं । हिंदी शोध तथा संदर्भ साहित्य की दृष्‍ट‌ि से प्रकाशित उनके विशिष्‍ट ग्रंथों-' शोध संदर्भ ' ' सूर साहित्य संदर्भ ', ' हिंदी साहित्यकार संदर्भ कोश '-को गौरवपूर्ण स्थान प्राप्‍त हुआ है ।
पुरस्कार-सम्मान : उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ द्वारा व्यंग्य कृति ' बाबू झोलानाथ ' (1998) तथा ' राजनीति में गिरगिटवाद ' (2002) पुरस्कृत, राष्‍ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली द्वारा ' मानवाधिकार : दशा और दिशा ' ( 1999) पर प्रथम पुरस्कार, ' आओ अतीत में चलें ' पर उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ का ' सूर पुरस्कार ' एवं डॉ. रतनलाल शर्मा स्मृति ट्रस्ट द्वारा प्रथम पुरस्कार । अखिल भारतीय टेपा सम्मेलन, उज्जैन द्वारा सहस्राब्दी सम्मान ( 2000); अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानोपाधियाँ प्रदत्त ।

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