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Awadhi lokgeet virasat   

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Author Vidya Bindu Singh
Features
  • ISBN : 9789384344399
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
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  • Kindle Store

More Information

  • Vidya Bindu Singh
  • 9789384344399
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2018
  • 512
  • Hard Cover

Description

वाचिक साहित्य अर्थात् लोक-साहित्य की सुदीर्घ परंपरा और उसके विश्वव्यापी विस्तार से आज बुद्धिजीवी वर्ग और साहित्यकार भी न केवल परिचित हुए हैं वरन् उसका महत्त्व भी स्वीकार करने लगे हैं। लोक-साहित्य की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि भी सुदीर्घ और समृद्ध है। इसके माध्यम से सांस्कृतिक विकास और सभ्यता के उत्थान-पतन का इतिहास समझा जा सकता है। मानवीय जीवन-मूल्यों के प्रति बदलती दृष्टियाँ और उसकी शाश्वत उपस्थिति सबका प्रामाणिक दस्तावेज भी इसमें सुरक्षित रहता है।
अवधी की वाचिक परंपरा में लोकगीतों के रूप में पद्य विधा जितनी समृद्ध है, उतनी ही लोककथाओं के रूप में गद्य विधा भी है। गद्य-पद्य मिश्रित विधा लोकगाथाओं (फोक वैलेड्स), लोक सुभाषित, लोक मुहावरे और लोकोक्तियों की भी समृद्ध परंपरा अवधी में है। कुछ लोक विश्वास, रीति-रिवाज, व्रत-पर्व-त्योहारों की परंपरा भी वाचिक साहित्य के माध्यम से ही पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होती रहती है।
अवधी लोक-साहित्य की वाचिक परंपरा में शास्त्र के वे सभी उद्देश्य समाहित हैं, जिन्हें ऋषि-मुनियों ने अपने ज्ञान के फल के रूप में अपने विचारों के माध्यम से जनहित में अभिव्यक्त किया है। वह ज्ञान लोक चेतना में संचरित होते हुए लोक व्यवहार में उतरता रहा है। उसकी वर्जनाएँ और स्वीकृति दोनों को अवधी लोक-साहित्य ने अभिव्यक्त किया है। अवधी लोकगीतों की यह विरासत पठनीय ही नहीं, संग्रहणीय भी है।

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अनुक्रम

कृति के बारे में 

यह विरासत भावी पीढ़ियों के लिए डॉ. योगेंद्र प्रताप सिंह Pgs—7

लोक साहित्य सागर को परिभाषित करती कृति डॉ. नर्मदा प्रसाद उपाध्याय Pgs—13

साहित्य की वाचिक-परंपरा की पृष्ठभूमि Pgs—15

1. काव्य भाषा के रूप में अवधी का विकास Pgs—23

2. लोकभाषाएँ और साहित्य  Pgs—43

3. लोक-वार्त्ता के विविध आयाम Pgs—47

4. कविता की वाचिक-परंपरा का इतिहास Pgs—53

5. वाचिक कविता के विविध रूप Pgs—59

6. अवध क्षेत्र के लोकगीतों का वर्गीकरण Pgs—67

(i) संस्कार गीत

(ii) ऋतु गीत

(iii) श्रम-परिहार के गीत

(iv) जातीय गीत

(v) मुस्लिम संप्रदाय के गीत

(vi) धर्म-दर्शन, व्रत-अनुष्ठान और पूजन आदि के गीत

(vii) लोरी और पालने के गीत

(viii) बच्चों के खेल संबंधी गीत

(ix) मुक्त चेतना का काव्य गारीगीत

(x) प्रणय संबंधी शृंगार रस के गीत  

7. लोकगीतों में सामाजिक-यथार्थ Pgs—243

8. लोकगीतों में राजनैतिक चित्र Pgs—329

9. वाचिक साहित्य में नारी चेतना का स्वरूप  Pgs—337

10. लोक जीवन के लोक-विश्वास Pgs—363

11. लोक गीतों में आर्थिक जीवन Pgs—387

12. लोकगीतों में काव्यशास्त्र Pgs—417

13. लोकगीतों में संगीतशास्त्र Pgs—491

14. लोक साहित्य की मंगलाशा Pgs—507

 

The Author

Vidya Bindu Singh

जन्म : 2 जुलाई,1945, ग्राम जैतपुर, सोनावाँ, फैजाबाद (उ.प्र.)।
कृतित्व : 87 कृतियाँ प्रकाशित एवं 27 कृतियाँ प्रकाशनार्थ, जिनमें 8 कहानी संग्रह, 5 उपन्यास, 6 नाटक, 8 कविता संग्रह, 5 निबंध संग्रह, 21 पुस्तकें लोक साहित्य पर,15 नवसाक्षर एवं बाल साहित्य।
15 पुस्तकें व 8 पत्रिकाएँ संपादित। विभिन्न पत्र-पत्रिकओं एवं ग्रंथों में 3000 से अधिक रचनाएँ प्रकाशित एवं संकलित। आकाशवाणी एवं दूरदर्शन के विभिन्न केंद्रों से निरंतर प्रसारण। देश-विदेश की संस्थाओं, विश्‍वविद्यालयों से संबद्ध, विभिन्न साहित्यिक आयोजनों में देश-विदेशों में सक्रिय भागीदारी।
‘डॉ. विद्याविंदु सिंह व्यक्‍तित्व और कृतित्व’ पर लखनऊ, गढ़वाल, कानपुर एवं पुणे विश्‍वविद्यालय द्वारा शोध हुए। नेपाली में अनुवादित सच के पाँव (कविता संग्रह) साहित्य अकादेमी, दिल्ली द्वारा पुरस्कृत। जापानी, बँगला, मलयालम, कश्मीरी, तेलुगु में भी रचनाओं के अनुवाद प्रकाशित।
संप्रति : साहित्य एवं समाजसेवा का कार्य।

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