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Bhikkhu

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कथा-साहित्य के विरल हस्ताक्षर कृष्णचंद्र शर्मा ' भिक्‍‍खु ' साहित्यिक जगत् में अपने साहित्यिक नाम ' भिक्‍‍खु ' से ही अधिक ख्यात हैं । आपने काशी हिंदू विश्‍वविद्यालय, वाराणसी से उच्च शिक्षा प्राप्‍त की । सन् 1940 से लेखन में प्रवृत्त हुए । तभी से सरस्वती, माधुरी, चाँद, विशाल भारत, ज्ञानोदय सदृश साहित्यिकों द्वारा समादृत पत्रिकाओं में प्रमुखता से छपते रहे हैं ।
आप किसी वाद, कालखंड और अंचल से बँधकर नहीं चले । आपके उपन्यासों का कथापट असाधारण रूप से वैविध्यपूर्ण और विस्तृत है । आप पूर्व में आकाशवाणी के महानिदेशक भी रह चुके हैं । संप्रति आप पूर्णकालिक लेखक के रूप में साधनारत हैं । आपकी रचनाओं में भाषा का प्रवाह पाठकों को विशेष रूप से आकृष्‍ट करता रहा है । आपकी रचनाओं में-फ्रांसिसी रक्‍त क्रांति पर आधारित ' मौत की सराय ', नगालैंड और नगा जातियों पर आधारित ' रक्‍त यात्रा ', पुर्तगाली उपनिवेश के कालवृत्त में गोआ के कैथोलिक समाज पर आधारित ' अस्तंगता ', बुद्ध के जीवन और काल से प्रेरित ' महाश्रमण सुनें ' प्रमुख रही हैं । इनके अलावा ' नागफनी ' ' खेती '; और ' चंदन - वन की आग ' ' कदाचित् ' प्रभृति उन्नीस उपन्यासों, तीन कहानी संग्रहों एवं अंबपाली और उसके युग को रूपायित करनेवाला नाटक ' रूपलक्ष्मी ' तथा शताधिक कहानियों का सृजन आपकी उपलब्धि रही है ।

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