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Aam Aadmi Aur Loktantra   

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Author B.S.Shekhawat
Features
  • ISBN : 9788173155741
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • B.S.Shekhawat
  • 9788173155741
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2016
  • 212
  • Hard Cover

Description

अब हमें यह भी जान लेना चाहिए कि लोकतंत्र का पाँचवाँ स्तंभ भी है, जिसे गरीब आदमी कहा जाता है। यह स्तंभ ऐसा शक्‍तिशाली स्तंभ है, जो सत्ता को बदल डालता है। जनप्रतिनिधियों का कहना है कि चुनाव में विजय और पराजय यह सब तो चलता रहता है। कुछ कहते हैं, हम काम तो बहुत करते हैं, पर फिर भी हार जाते हैं। लेकिन उनके पराजित होने का कारण ही यही है कि जनता में एक वर्ग ऐसा है, जो यह मानता है कि यदि उसे प्रत्यक्ष में कोई लाभ होगा, उसकी गरीबी मिटेगी तभी उसे विश्‍वास होगा कि लोकतंत्र क्या है, कानून क्या है और प्रशासन क्या है। वह केवल भाषण से संतुष्‍ट नहीं होनेवाला है। वह संतुष्‍ट तभी होगा जब उसके पेट में प्रतिदिन आराम से दो रोटी पहुँच सकेगी। यदि वह संतुष्‍ट नहीं होगा तो असंतोष बढ़ेगा और यदि असंतोष बढ़ेगा तो लोकतंत्र के प्रति उसकी जो आस्था है, उसमें शनै:-शनै: कमी आती जाएगी—और जिस दिन ऐसे लोगों का संगठन बन गया तो कैसी स्थिति पैदा होगी, उसका अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता है।
—इसी पुस्तक से

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अनुक्रम

लोकतंत्र का पाँचवाँ स्तंभ

1. गरीबी उन्मूलन और जन-प्रतिनिधि — Pgs. 15

2. लोकतंत्र का स्थायित्व — Pgs. 26

3. गरीब को गरिमा के साथ जीने का अधिकार मिले — Pgs. 31

4. लोकतंत्र का पाँचवाँ स्तंभ — Pgs. 34

5. गरीब व अमीर के बीच की असमानता दूर हो — Pgs. 38

6. कायाकल्प हो रहा है — Pgs. 43

7. संकल्प की आवश्यकता — Pgs. 46

8. विकास का चिंतन — Pgs. 54

9. कृषि में वैज्ञानिक सुधार की जरूरत — Pgs. 57

10. समाज और देश की उन्नति का पथ — Pgs. 62

11. स्त्री-शति और राष्ट्रीय विकास — Pgs. 65

12. राष्ट्रीय विकास और युवा वर्ग — Pgs. 70

13. नारायण के साथ दरिद्र नारायण की सेवा — Pgs. 73

14. विकास और ऊर्जा संरक्षण — Pgs. 75

15. नवनिर्माण का क्रम — Pgs. 78

राष्ट्रीय संदर्भ

16. विकसित हो रहा है भारत — Pgs. 83

17. हमारी सुधरती अर्थव्यवस्था — Pgs. 88

18. राष्ट्रीय महव के मुद्दों पर आम सहमति हो — Pgs. 93

19. राष्ट्रीय समस्याओं का समाधान — Pgs. 96

20. कृषि : भारत की आत्मा — Pgs. 99

21. उदारीकरण और वैश्वीकरण की चुनौतियाँ — Pgs. 105

22. आतंकवाद का दंश — Pgs. 109

23. बढ़ती जनसंया और बेरोजगारी की समस्या — Pgs. 112

साहित्य, संस्कृति, शिक्षा

24. शिक्षा की महा और उद्देश्य — Pgs. 119

25. समाचार-पत्रों की चुनौतियाँ — Pgs. 125

26. हमारी संस्कृति और आदर्श — Pgs. 129

27. प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहर — Pgs. 132

28. शिक्षा : जीवन-मूल्यों के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा देती है — Pgs. 136

29. शिक्षा और राष्ट्रीय चरित्र — Pgs. 142

30. हिंदी पत्रकारिता और नैतिक मूल्य — Pgs. 146

चिकित्सा एवं सेवा

31. समाज-सुधारों की महती आवश्यकता — Pgs. 151

32. चिकित्सा-कर्म और उसका मर्म — Pgs. 158

33. मस्तिष्क संबंधी रोग और चिकित्सा-विधियाँ — Pgs. 162

34. चिकित्सा सुविधाएँ और जनसंया नियंत्रण — Pgs. 164

35. आयुर्वेद : महान् चिकित्सा पद्धति — Pgs. 166

न्याय, राजनीति एवं चुनाव प्रक्रिया

36. न्याय और न्यायपालिका — Pgs. 173

37. चुनाव पद्धति में सुधारों की आवश्यकता — Pgs. 178

38. लोकतंत्र में संसदीय मर्यादा — Pgs. 181

विविध

39. संस्कृति और प्रकृति का संरक्षण — Pgs. 191

40. आदर्श गाँव का उदाहरण — Pgs. 195

41. पुस्तकें : हमारी प्रेरणा का स्रोत — Pgs. 198

42. क्रिकेट और देश-भावना — Pgs. 202

43. भ्रष्टाचार पर अंकुश जरूरी — Pgs. 205

The Author

B.S.Shekhawat

श्री भैरों सिंह शेखावत का जन्म 23 अक्‍तूबर, 1923 को राजस्थान के सीकर जिले के खाचरियावास गाँव के एक सामान्य परिवार में हुआ। अपने परिश्रम, अध्यवसाय और निष्‍ठा के कारण उन्हें राजस्थान विधानसभा के सदस्य, विपक्ष के नेता, तीन बार मुख्यमंत्री के पद पर पहुँचने का अवसर मिला। 19 अगस्त, 2002 को वे भारी बहुमत से भारत के उपराष्‍ट्रपति पद के लिए निर्वाचित हुए। भारत की राजनीति में वे ‘अजातशत्रु’ के रूप में विख्यात हैं। अपने उज्ज्वल चरित्र की पारदर्शिता, समन्वय-क्षमता, गाँव, गरीब और किसान के विकास के लिए प्रतिबद्धता, लोकतांत्रिक मूल्यों एवं नैतिकता में गहन आस्था के कारण उन्होंने इन सभी पदों को गरिमा प्रदान की। राज्यसभा में उनका स्वागत करते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था, ‘आप धूल से उठकर माथे का चंदन बन गए हैं।’ तत्कालीन विपक्ष के नेता डॉ. मनमोहन सिंह के हार्दिक उद‍्गार थे—‘पचास वर्ष से अधिक का आपका सार्वजनिक जीवन बुद्धिमत्ता, ज्ञान और अनुभव का प्रतीक है, जिसपर हमें गर्व है।’

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