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101 Laghukathayen   

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Author Vijay Agrawal
Features
  • ISBN : 9788177212563
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more

More Information

  • Vijay Agrawal
  • 9788177212563
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2018
  • 172
  • Hard Cover

Description

प्रतिष्‍ठित लेखक डॉ. विजय अग्रवाल की ये लघुकथाएँ स्वयं पर लगाए जानेवाले इस आरोप को झुठलाती हैं कि लघुकथाएँ लघु तो होती हैं, लेकिन उनमें कथा नहीं होती। इस संग्रह की लघुकथाओं में कथा तो है ही, साथ ही उन्हें कहने के ढंग में भी ‘कहन’ की शैली है। इसलिए ये छोटी-छोटी रचनाएँ पाठक के अंतर्मन में घुसकर वहाँ बैठ जाने का सामर्थ्य रखती हैं।
ये लघुकथाएँ मानव के मन और मस्तिष्क के द्वंद्वों तथा उनके विरोधाभासों को जिंदगी की रोजमर्रा की घटनाओं और व्यवहारों के माध्यम से हमारे सामने लाती हैं। इनमें जहाँ भावुक मन की तिलमिलाती हुई तरंगें मिलेंगी, वहीं कहीं-कहीं तल में मौजूद विचारों के मोती भी। पाठक इसमें मन और विचारों के एक ऐसे मेले की सैर कर सकता है, जहाँ बहुत सी चीजें हैं—और तरीके एवं सलीके से भी हैं।
इस संग्रह की विशेषता है—सपाटबयानी की बजाय किस्सागोई। निश्‍चय ही ये लघुकथाएँ सुधी पाठकों को कुरेदेंगी, गुदगुदाएँगी और सोचने पर विवश करेंगी।

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अनुक्रम ५१. संतोष—८३
१. अनंत खोज —११ ५२. रुटीन—८४
२. मिलन—१२ ५३. स्टॉपर—८५
३. सच्चा प्रेम—१३ ५४. राजनीति—८७
४. प्रेम—१४ ५५. नेता—८८
५. घृणा—१६ ५६. अधिकारी—८९
६. आर्द्रता—१८ ५७. अनुशासन—९०
७. चाहत—२० ५८. पालन—९२
८. अस्तित्व—२२ ५९. शासन—९३
९. विश्वास—२३ ६०. सुनवाई—९४
१०. संग्रह—२४ ६१. अपराध और न्याय—९६
११. सीखना—२६ ६२. आत्ममुग्धा—९८
१२. देखभाल—२७ ६३. मीटिंग—१००
१३. विद्रोह—२८ ६४. चाहना—१०२
१४. नियम—२९ ६५. एक क्षण—१०४
१५. तब और अब—३० ६६. जरूरी धा—१०६
१६. मूल्यांकन—३१ ६७. कानून—१०८
१७. दृष्टि—३३ ६८. आजादी—१०९
१८. आशा—३४ ६९. प्रमोशन—१११
१९. भति—३५ ७०. पूर्वग्रह—११२
२०. अपमान—३६ ७१. मीठा जहर—११४
२१. सौंदर्य—३७ ७२. वजूद—११५
२२. अभिव्यति—३८ ७३. भटकन—११७
२३. उदासी—३९ ७४. कहाँ—११९
२४. भति-भाव—४० ७५. समकक्ष—१२१
२५. ईर्ष्या—४२ ७६. बुद्धिजीवी—१२३
२६. हितैषी—४४ ७७. पहचान—१२४
२७. आमंत्रण—४६ ७८. सौदा—१२५
२८. दोष—४७ ७९. छोटा या बड़ा—१२७
२९. नश्वरता—४८ ८०. मन—१२८
३०. सीढ़ियाँ—४९ ८१. कंजूस—१३०
३१. गलती—५० ८२. कीमत—१३२
३२. ढूँढ़ना—५१ ८३. बदला—१३५
३३. निर्णय—५२ ८४. दु:ख—१३६
३४. सर्वत्र—५३ ८५. परिचय—१३९
३५. परंपरा—५४ ८६. आरती—१४१
३६. मनाही—५५ ८७. तीर्थ-यात्रा—१४३
३७. नारी—५६ ८८. भिखारी—१४६
३८. लव्स सो मच—५८ ८९. अच्छा—१४८
३९. मैं वह नहीं हूँ—६० ९०. वृद्धाश्रम—१५०
४०. सृजन—६२ ९१. तब और अब—१५२
४१. शायर की मौत—६४ ९२. कन्फेशन—१५४
४२. ठेस—६७ ९३. आखिरी खत—१५६
४३. अनुरित—६९ ९४. प्रवेश—१५८
४४. आश्रय—७० ९५. ऊँचाई—१६०
४५. आह्वान—७१ ९६. कन्या का भोज—१६२
४६. मन की बात—७३ ९७. आजादी (एक)—१६४
४७. सत्य की खोज—७५ ९८. आजादी (दो)—१६६
४८. बच्ची—७७ ९९. कुत्ता (एक)—१६८
४९. पुरस्कार—७९ १००. कुत्ता (दो)—१७०
५०. आदेश—८१ १०१. एहसास—172

 

 

 

The Author

Vijay Agrawal

भारतीय सूचना सेवा के अधिकारी डॉ. विजय अग्रवाल वर्षों तक पूर्व राष्‍ट्रपति/ उपराष्‍ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा के निजी सचिव रहे हैं। सन् 1983 में केंद्रीय सिविल सेवा में आने के बाद भी डॉ. विजय अग्रवाल की एम.ए. (हिंदी साहित्य) एवं पी-एच.डी. की पृष्‍ठभूमि लगातार अपना काम करती रही। फलस्वरूप वे साहित्य के अध्ययन, अध्यापन एवं लेखन से आज तक जुड़े हुए हैं। साहित्य, भाषा, संस्कृति, यात्रा-संस्मरण, व्यंग्य, बाल साहित्य, लोककथा, इतिहास तथा जीवन-प्रबंधन आदि पर उनकी अब तक लगभग 75 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। कुछ पुस्तकों के अंग्रेजी और मराठी भाषा में अनुवाद भी हुए हैं।
केंद्र सरकार के विभिन्न पदों पर काम करते हुए आप वर्तमान में प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो, भोपाल (मध्य प्रदेश) में अपर महानिदेशक के पद पर हैं।

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