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1000 Ramayana Prashnottari   

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Author Rajendra Pratap Singh
Features
  • ISBN : 9788177212761
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
  • ...more
  • Kindle Store

More Information

  • Rajendra Pratap Singh
  • 9788177212761
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2018
  • 156
  • Hard Cover

Description

क्या आप जानते हैं, 'वह कौन वीर था, जिसने रावण को बंदी बनाकर कारागार में डाल दिया था और उसके (रावण के) पितामह के निवेदन पर उसे मुक्त किया था', 'लक्ष्मण, हनुमान, भरत और शत्रुघ्न को किन दो भाइयों ने युद्ध में पराजित कर दिया था', 'कुंभकर्ण के शयन हेतु रावण ने जो घर बनवाया था, वह कितना लंबा-चौड़ा था', 'राक्षसों को 'यातुधान' क्यों कहा जाता है', 'हनुमानजी का नाम 'हनुमान' कैसे पड़ा', 'लंका जाने हेतु समुद्र पर बनाए गए सेतु की लंबाई कितनी थी' तथा 'रामायण में कुल कितने वरदानों और शापों का वर्णन है?' यदि नहीं, तो 'रामायण प्रश्नोत्तरी' पढें। आपको इसमें इन सभी और ऐसे ही रोचक, रोमांचक, जिज्ञासापूर्ण व खोजपरक 1000 प्रश्नों के उत्तर जानने को मिलेंगे। इस पुस्तक में रामायण के अनेक पात्रों, पर्वतों, नगरों, नदियों तथा राक्षसों एवं श्रीराम की सेना के बीच युद्ध में प्रयुक्त विभिन्न शस्त्रास्त्रों एवं दिव्यास्त्रों के नाम, उनके प्रयोग और परिणामों की रोमांचक जानकारी दी गई है। इसके अतिरिक्त लगभग डेढ़ सौ विभिन्न पात्रों के माता, पिता, पत्नी, पुत्र-पुत्री, पितामह, पौत्र, नाना, मामा आदि संबंधों का खोजपरक विवरण भी। इसमें संगृहीत प्रश्न रामायण के विस्तृत पटल से चुनकर बनाए गए हैं। यह पुस्तक आम पाठकों के लिए तो महत्त्वपूर्ण है ही, लेखकों, सपादकों, पत्रकारों, वक्ताओं, शोधार्थियों, शिक्षकों व विद्यार्थियों के लिए भी अत्यंत उपयोगी है। यथार्थतः यह रामायण का संदर्भ कोश है।

The Author

Rajendra Pratap Singh

राजेंद्र प्रताप सिंह
जन्म : 19 मार्च, 1973 को ग्राम पचवर का पुरवा, बेलामुंडी, इलाहाबाद में ।
गत दस वर्षों से संपादन कार्य के माध्यम से हिंदी साहित्य व पत्रकारिता से संबद्ध । अब तक लगभग चार सौ पुस्तकों के संशोधन-संपादन का अनुभव ।
लेखन : कहानी, लघुकथा, व्यंग्य एवं आलेख विधा पर लगभग पचास रचनाएँ प्रकाशित । ' 1000 रामायण प्रश्‍नोत्तरी ' व ' 1000 महाभारत प्रश्‍नोत्तरी ' पुस्तकें प्रकाशित ।
संप्रति : अनेक प्रतिष्‍ठ‌ित प्रकाशनों की हिंदी पुस्तकों का संपादन कार्य, ' साहित्य अमृत ' पत्रिका में संपादन सहयोग तथा स्वतंत्र लेखन ।

 

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